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फसल बीमा योजना: नुकसान की भरपाई तभी होगी जब बुआई के 10 दिनों के अंदर ही योजना का फॉर्म भरा हो

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: भारत में प्राकृतिक आपदाओं से अक्सर फसलें खराब हो जाती हैं. ऐसे में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. किसानों को इसी नुकसान से बचाने के लिए भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की शुरुआत की है.

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उन किसानों के लिए काफी फायदेमंद है, जिनकी फसलें प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट हो जाती हैं. यह योजना प्रीमियम का बोझ कम करने में मदद करेगी, जो किसान अपनी खेती के लिए ऋण लेते हैं और खराब मौसम से फसलों को होने वाले नुकसान से भी बचाएगी. यह योजना भारत के हर राज्य में संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू की गई है. इस योजना के तहत खाद्य फसल (अनाज, बाजरा और दालें), तिलहन, वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागवानी की फसलें कवरेज की जाएगी.

योजना के मुख्य आकर्षण

किसानों को सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2 फीसदी एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी का एकसमान प्रीमियम का भुगतान करना है. वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम 5 फीसदी होगा. शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में फसल हानि के लिए किसानों को पूर्ण बीमित राशि प्रदान की जा सके. इससे पहले प्रीमियम दर पर कैपिंग का प्रावधान था, जिससे किसानों को कम दावे का भुगतान होता था.

योजना के उद्देश्य

प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित फसल में से किसी की विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना. कृषि में किसानों की सतत प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उनकी आय को स्थायित्व देना. किसानों को कृषि में नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना तथा कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना.

किसानों का कवरेज

अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगानेवाले पट्टेदार/जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिए पात्र हैं. अनिवार्य घटक वित्तीय संस्थाओं से अधिसूचित फसलों के लिए मौसमी कृषि कार्यों (एसएओ) के लिए ऋण लेने वाले सभी किसान पात्र होंगें. स्वैच्छिक घटक गैर ऋणी किसानों के लिए योजना वैकल्पिक होगी. योजना के तहत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला किसानों की अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किया जाएगा. इसके तहत बजट आबंटन और उपयोग संबंधित राज्य के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/सामान्य वर्ग द्वारा भूमि भूमि-धारण के अनुपात में होगा.

जोखिम की कवरेज

बुवाई/रोपण में रोक संबंधित जोखिम : बीमित क्षेत्र में कम बारिश या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बुवाई/रोपण में रुकावट होने पर.

खड़ी फसल (बुवाई से कटाई तक के लिए) : नहीं रोके जा सकने वाले जोखिमों जैसे सूखा, अकाल, बाढ़, सैलाब, कीट एवं रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओले, चक्रवात, आंधी, टेम्पेस्ट, तूफान और बवंडर आदि के कारण उपज के नुकसान होने पर.

कटाई के उपरांत नुकसान : फसल कटाई के बाद चक्रवात, चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश के विशिष्ट खतरों से उत्पन्न हालत के लिए कटाई से अधिकतम दो सप्ताह की अवधि के लिए कवरेज उपलब्ध है.

स्थानीयकृत आपदाएं : अधिसूचित क्षेत्र में मूसलधार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसे स्थानीय जोखिम की घटना से हानि होने पर.

किन दस्तावेजों की है जरूरत?

किसान की एक फोटो किसान का आईडी कार्ड (पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड) किसान का एड्रेस प्रूफ (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड) अगर खेत आपका अपना है तो इसका खसरा नंबर/खाता नंबर का पेपर साथ में रखें. खेत में फसल की बुवाई हुई है, इसका सबूत पेश करना होगा. इसके सबूत के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान जैसे लोगों से एक पत्र लिखवाकर ले सकते हैं. अगर खेत बटाई या किराए पर लेकर फसल की बुवाई की गयी है, तो खेत के मालिक के साथ करार की कॉपी की फोटोकॉपी जरूर ले जाएं. इसमें खेत का खाता/खसरा नंबर साफ तौर पर लिखा होना चाहिए. फसल को नुकसान होने की स्थिति में पैसा सीधे आपके बैंक खाते में पाने के लिए एक रद्द चेक लगाना जरूरी है.

ध्यान रखने वाली कुछ अन्य बातें

फसल की बुआई के 10 दिनों के अंदर आपको इस योजना का फॉर्म भरना जरूरी है. फसल काटने से 14 दिनों के बीच अगर आपकी फसल को प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होता है, तब भी आप बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं. बीमा की रकम का लाभ तभी मिलेगा, जब आपकी फसल किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से ही खराब हुई हो. दावा भुगतान में होने वाली देरी को कम करने के लिए फसल काटने के आंकड़े जुटाने एवं उसे साईट पर अपलोड करने के लिए स्मार्ट फोन, रिमोट सेंसिंग ड्रोन और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.

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