QR Code Scanning to Detect for Fake Medicine: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के इस दौर में संक्रमण के बढ़ते (Infection Rate) मामलों के कारण नकली दवाइयों को व्यापार में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है. जालसाज मार्केट में बड़े पैमाने पर नकली दवाइयों का व्यापार कर रहे हैं. इससे लोगों की जान खतरे में पड़ रही है. ऐसे में सरकार इन तरह के जालसाजों पर नकेल कसने (Real or Fake Medicine) के लिए कई तरह के ठोस कदम उठा रही है.
हाल ही में सरकार ने इस मामले में एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, में सरकार ने दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (Active Pharmaceutical Ingredients) यानी एपीआई पर अब क्यूआर कोड (QR Code) लगाना अनिवार्य कर दिया है. सरकार ने यह कदम नकली दवा (Fake Medicine) के व्यापार पर रोक लगाने के लिए किया है.
इस क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करके अब आसानी से पता लग जाएगा कि दवा असली है या नकली है. सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से नकली दवा पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. अगर आपको इस क्यूआर के बारे नहीं पता है तो हम आपको बताते है कि इससे किस तरह नकली दवा का पता लगाया जा सकता है. यह किस तरह आम ग्राहकों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है. तो चलिए जानते हैं इस बारे में-
क्यूआर कोड के नियम (QR Code Rules) को इस तारीख से किया जा रहा है लागू
दवा की पूरी जानकारी आप केवल एक स्कैनिंग (QR Code Scanning) से पता कर सकती है. क्यूआर कोड को स्कैन करने पर आप सॉल्ट, बेंच नंबर या कीमत की जानकारी मिल जाएगी. इससे आपको दवा की पूरी जानकारी मिल जाएगी. इस नियम को साल 2023 के 1 जनवरी से लागू कर दिया जाएगा. इस मामले पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस नियम के लागू होने के बाद से आम लोग भी आसानी से असली और नकली दवा की पहचान कर सकेंगे.
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क्या पता चलेगा क्यूआर कोड से
क्यूआर कोड से आपको यह पता चलेगा कि दवा का कच्चा माल कहां से सप्लाई हुआ है. इसके साथ ही इसे बनाने के वक्त किसी तरह की छेड़छाड़ तो नहीं हुई है. इसके साथ ही दवा की डिलीवरी कहां हुई है. आपको बता दें कि 'एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स' टेबलेट्स, इंटरमीडिएट्स, कैप्सूल्स और सिरप बनाने का सबसे प्रमुख कच्चा माल होता है. इसके बिना दवा का निर्माण नहीं किया जा सकता है.
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क्यूआर कोड को साल 2019 में ही टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी गई थी. क्यूआर कोड की नकल करना नामुमकिन होता है क्योंकि यह बैच नंबर के साथ बदलता रहता है. इसके साथ ही इससे स्कैन करने में बेहद कम समय लगता है. यह बारकोड (Barcode Scan) का अपग्रेड वर्जन है जिसे तेजी से रीड किया जा सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में करीब 25 प्रतिशत दवा नकली है. देश दुनिया में नकली व्यापार का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है.