Kaam Ki Baat: ट्रेडमार्क क्या होता है? जानें ट्रेडमार्क की वैलिडिटी और फायदे
Trademark: ट्रेडमार्क न केवल कंपनी या प्रोडक्ट की पहचान (Trademark Registry) मजबूत करता है, बल्कि यह कानून के दायरे (Trademark Law) में भी आता है.
Importance Of Trademark Registration: ट्रेडमार्क विशेष और विशिष्ट चिन्ह होते हैं (Types of Trademark), जिनके आधार पर कंपनी के प्रोडक्ट्स की पहचान बनती है. डिजाइन, पिक्चर, साइन आदि ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर (Trademark Registry Rules) हो सकते हैं.
ट्रेडमार्क के फायदे
ट्रेडमार्क की बदौलत कंपनी बाजार में खुद को स्थापित कर सकती है, अपनी पहचान बना सकती है. ग्राहक आपके प्रोडक्ट और सर्विस में पहचान पाएंगे.
ट्रेडमार्क से संबंधित कानून
ट्रेडमार्क इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (Intellectual Property) की श्रेणी में आते हैं. ट्रेडमार्क अधीनियम, 1999 (Trademark Act, 1999) के अंतर्गत इन्हें सुरक्षित रखा गया है. कंपनी के ट्रेडमार्क से छेड़छाड़ या चोरी को रोकने के लिए ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के अधीन की जाती है. सरकार की तरफ से कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन्स एंड ट्रेडमार्क (Controller General of Patents, Designs and Trademarks) यानी ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के कार्यालय (Office of Registrar of Trademarks) द्वारा किया जाता है.
अनिवार्य नहीं है ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन
कंपनी के ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है. इसे कंपनियां स्वेच्छा से करवाती हैं. हालांकि, अगर एक ट्रेडमार्क रजिस्टर होता है, वह यह सुनिश्चित करता है कि उस ट्रेडमार्क पर किसका मालिकाना हक है. साथ ही, आवश्यकता होने पर सभी कानूनी निर्णय उसी के पक्ष में होंगे जिसके नाम से ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराया गया.
ट्रेडमार्क की वैलिडिटी
पंजीकृत ट्रेडमार्क 10 साल तक मान्य होता है. वैलिडिटी खत्म होने के ठीक एक साल पहले ही इसके नवीनीकरण का काम शुरू हो जाएगा. अगर किसी ने वक्त पर ट्रेडमार्क को रिन्यू कराने का काम नहीं पूरा किया तो ट्रेडमार्क को हटाना होगा. हालांकि, हटने के बाद दोबारा उसी ट्रेडमार्क को रीस्टोर किया जा सकता है.
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