प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मिड डे मील योजना के स्वरूप और नियमों में बदलाव करने का निर्णय लिया है. बुधवार को हुई इस बैठक में बदले नियमों पर मुहर लग गई और इसे बहाल कर दिया गया है. इसकी जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है. उन्होंने बताया है कि देश भर के 11.2 लाख से अधिक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को मिड डे मिल प्रदान करने के लिए पीएम पोषण योजना शुरू कर दी करने की मंजूरी मिल गई है.


अनुराग ठाकुर ने बताया कि योजना सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए लागू होगी. फिलहाल योजना 2026 तक रखी गई है. जिसमें 1.30 लाख करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा. नई योजना का फोकस पोषणयुक्त भोजन पर रहेगा. सरकार के मुताबिक नए स्कीम का फायदा 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलेगा. नई योजना कक्षा 1 की जगह नर्सरी या प्री प्राइमरी स्तर से शुरू होकर 8वीं तक के बच्चों के लिए होगी 


अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहली से आठवीं कक्षा तक के करीब 11.80 करोड़ बच्चों के अलावा नर्सरी के बच्चों को इसका फायदा मिलेगा. नई योजना में सोशल ऑडिट को अनिवार्य बनाया गया है. नई योजना का एक विशेष पहलू ये है कि इसमें 'तिथि भोजन' की अवधारणा को बढ़ावा दिया जाएगा.


पीएम पोषण योजना में मिलेगा मिड डे मील योजना


केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि मिड डे मील योजना को पीएम पोषण योजना के अंदर मिला दिया जाएगा. इस नई योजना के अनुसार आठवीं तक के छात्रों को मुफ्त भोजन दिया जाएगा. पीएम पोषण योजना के तहत आठवीं तक के छात्रों को दोपहर का भोजन स्कूल में दिया जाएगा.


यह योजना देश के सभी सरकारी और सहकार के सहयोग से चलने वाले स्कूलो में लागू की जाएगी. यह योजना के तहत अब कक्षा 1 के जगह नर्सरी या प्री प्राइमरी स्तर से कक्षा आठवीं तक के बच्चों के भोजन के लिए चलाई जाएगी. यह योजना फिलहाल पांच साल तक चलेगी, यानि यह 2026 तक चलेगी. इन पांच सालों में इस नई योजना के तहत कुल 1.30 लाख करोड़ खर्च किया जाएगा.


पीएम पोषण योजना के अनुसार पहली बार सरकारी और सरकारी सहायता स्कूलों में पढ़ रहे पहली से आठवीं तक के कक्षा के करीब 11.80 करोड़ छात्रों को दोपहर का भोजन दिया जाएगा. इसके अलावा इस बार इस योजना से नर्सरी के बच्चों को भी फायदा मिलेगा. इस योजना के लिए सोशल ऑडिट को अनिवार्य बनाया गया है. नई योजना का एक विशेष पहलू ये है कि इसमें 'तिथि भोजन' की अवधारणा को बढ़ावा दिया जाएगा.


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