भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. भारतीय रेलवे हमारे देश की लाइफलाइन है. भारतीय रेलवे हमारे देश की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है. कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर के दौरान भारतीय रेलवे ने भारत के हर कोने तक जरूरी सामानों पहुंचाए और इस महामारी से लड़ने में सबसे अहम योगदान दिया. रेलवे हमारे देश की शान है और इसकी जगह कोई भी दूसरी व्यवस्था या साधन नहीं ले सकता है. आज हम हमारे देश के गौरव भारतीय रेलवे से जुड़ी एक ऐसी खास बात बताने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी शायद ही आपको होगी.


रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर समुद्र तल की ऊंचाई


आपने जहां कहीं भी रेलवे से सफर किया हो वहां आपने पीले रंग के बड़े बोर्ड में स्टेशन का नाम लिखा देखा होगा. स्टेशन के नाम के साथ समुद्र तल से उसकी ऊंचाई लिखी होती है. यह भारत के हर स्टेशन के बोर्ड पर लिखी होती है. क्या आपको पता है समुद्र तल की ऊंचाई लिखे होना यात्रियों की सुरक्षा के लिए होता है. हां, यह बात अलग है कि यात्री इसका प्रयोग नहीं करते हैं. पर इसका प्रयोग हमारे ट्रेन चालक और गार्ड करते हैं.


किसी भी जगह की ऊंचाई का पता समुद्र तल से लगता है


आप जानते होंगे की हमारी धरती की ऊंचाई सभी जगहों पर अलग-अलग है. कहीं पर हमारी धरती ऊंची है तो कहीं पर नीची. पृथ्वी के एक समान ऊंचाई को नापने के लिए हम समुद्र तल का इस्तेमाल करते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की उलट परिस्थितियों के बाद भी हमारे समुद्र तल की ऊंचाई ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होती है. इस कारण धरती पर किसी भी स्थान की ऊंची का पता लगाने के लिए समुद्र तल का इस्तेमाल किया जाता है.


कैसे रेल यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा है समुद्र तल


दरअसल, भारतीय रेल के लोको पायलट और गार्ड समुद्र तल की मदद से ऊंचाई के बारे पता कर पाते हैं. इसकी मदद से वह यह सुनिश्चित करते हैं कि कब ट्रेन की गति को नियंत्रित करना है. अगर ट्रेन ऊंचाई की ओर जा रही है तो लोको पायलट ट्रेन की गति को बढ़ाता है और इंजन में शक्ति या टार्क बढ़ाता है. वहीं अगर ट्रेन ढलान में जा रही है तो लोकपायलट ट्रेन की ब्रेकिंग सिस्टम का प्रयोग कर उसके गति को नियंत्रित करता है.


आपके जानकारी के लिए बता दें कि अगर समुद्र तल की ऊंचाई की तकनीक रेलवे में इस्तेमाल नहीं की जाती तो कई दुर्घटना होने के चांस बन जाते.


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