How To Make A Will In India: रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के अनुसार जायदाद की रजिस्ट्री राज्य सरकार की ओर स्थापित सब-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar Office) के दफ्तर में होती है. जायदाद की रजिस्ट्री में स्टैंप ड्यूटी भी लगती है. साथ ही पंजीकरण शुल्क भी देना होगा.
जायदाद क्या होती है?
जायदाद वह दस्तावेज होती है जिसमें व्यक्ति की सभी चल-अचल संपत्ति का जिक्र होता है और व्यक्ति की मौत के बाद उस संपत्ति के हकदार कौन होंगे, उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा, इसकी विस्तृत जानकारी होती है. जायदाद में व्यक्ति का घर, जमीन, पैसा, बीमा, जेवर, पेंटिंग, बेशकीमती आर्टिफैक्ट्स, रॉयल्टी, एफडी, आरडी, बचत खाता की रकम, लीस पर ली गई जमीन आदि का जिक्र होता है और कौन सी संपत्ति कितनी तादाद में किसे मिलेगी, इसकी भी जानकारी होती है.
जायदाद क्यों बनानी चाहिए?
हर वह व्यक्ति जिसके पास स्व-अर्जित, पुश्तैनी चल-अचल संपत्ति है उसे जायदाद बना लेनी चाहिए ताकि उसकी मृत्यु के बाद परिवारवालें को पैसों और संपत्ति के लिए परेशानी न झेलनी पड़े. भारत में हर बालिग व्यक्ति अपनी जायदाद बना सकता है.
जायदाद को मान्यता कब मिलती है?
जायदाद को मान्यता मिले इसके लिए जायदाद लिखने वाले व्यक्ति (Testator) को इन बातों का ख्याल रखना चाहिए
- जायदाद लिखने वाले व्यक्ति की दिमागी हालत (Testator’s Mental Stability): मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति की लिखी जायदाद को मान्यता मिलने में काफी परेशानी होती है. जायदाद लिखने वाला व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ है इसका प्रूफ जायदाद में जोड़ना चाहिए. इसके लिए डॉक्टर का नोट मान्य है.
- गवाह (Witness To Will): जायदाद के हर कागज पर टेस्टेटर के साथ-साथ दो गवाहों के हस्ताक्षर की भी जरूरत होती है. दस्तावेज में दोनों गवाहों की विस्तृत जानकारी जैसे नाम, पता, फोन नंबर, मेल आईडी आदि का विवरण होना चाहिए ताकि भविष्य में जायदाद के सत्यापन पर विवाद की स्थिति में गवाहों से संपर्क करना मुश्किल न हो. गवाह के रूप में वकील, डॉक्टर, गैजेटेड अफसर का चयन करें ताकि आपकी मेंटल स्टेबिलिटी के साथ साथ आपके द्वारा जायदाद में लिखे हर के शब्द को वैलिडिटी मिल जाए.
- डिक्लरेशन (Will Declaration): जायदाद लिखने वाले व्यक्ति को दो डिक्लरेशन जरूर करना चाहिए. पहला यह कि इस दस्तावेज में जिन चल-अचल संपत्तियों का जिक्र है वे सब स्व-अर्जित हैं या उनके ही स्वामित्व में हैं. दूसरा यह कि उन्होंने अपनी जायदाद पूरे होश में बिना किसी दबाव के लिखी है. इन दो डेक्लरेशन और जायदाद लिखने वाले के हस्ताक्षर के साथ-साथ हर पन्ने पर दोनों गवाहों के हस्ताक्षर जायदाद की सत्यता की पुष्टि करते हैं.
- वीडियोग्राफी (Will Videography): भविष्य में जायदाद को लेकर किसी भी तरह की कोई अड़चन ना हो, इसके लिए जायदाद लिखने वाले को कैमरे में भी अपनी पूरी जायदाद पढ़ते हुए वीडियो रिकॉर्डिंग कर लेनी चाहिए.
- जायदाद की रजिस्ट्री: रजिस्ट्री कराने से जायदाद को कानूनी मान्यता मिल जाती है. भविष्य में अगर जायदाद की कॉपी खो जाए या किसी उत्तराधिकारी को उसकी डुप्लिकेट कॉपी की आवश्यकता पड़े तो सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर से उसे प्राप्त किया जा सकता है. साथ ही, अगर आपके नाम से कोई नकली जायदाद पर दावा करता है तो ओरिजनल जायदाद से तुलना कर उसकी सत्यता साबित की जा सकती है.
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