कोविड-19 से होने वाले शरीर के अंगों पर प्रभावों का अध्ययन पूरी दुनिया में किया जा रहा है. इस बीच, एम्स के डॉक्टरों ने कहा है कि करीब 10-15 फीसद कोविड-19 के मरीजों को सिर्फ गेस्ट्रोइन्टिस्टनल के लक्षण जैसे जी मिचलाना, उल्टी और डायरिया हो सकते हैं. आपको बता दें कि कोविड-19 के मरीजों को आम तौर से सांस लेने में दुश्वारी, खांसी या गले में खराश की समस्या आती है और बीमारी का प्रमुख लक्षण भी अभी तक के शोध से सामने आया है.


एम्स के डॉक्टरों ने कोविड-19 के प्रभाव का किया खुलासा


डॉक्टरों ने बीमारी के इलाज और प्रृत्तियों पर विचार साझा करते हुए कहा कि कोविड-19 के मरीजों को हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी या लिवर रोग की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि 10-15 फीसदी कोविड-19 के मरीजों को सिर्फ गेस्ट्रोइन्टिस्टनल के लक्षण में जरूरी नहीं कि श्वसन के लक्षण भी सामने आएं. इसलिए, जरूरी है कि उन लोगों का टेस्ट किया जाए जिनको गेस्ट्रोइन्टिस्टनल के लक्षण हैं, जिससे पता लगाया जा सके कि क्या उनको किसी तरह की सांस की समस्या है या किसी पॉजिटिव मरीज के साथ संपर्क में आए तो नहीं हैं.


कोविड-19 के मरीजों में गेस्ट्रोइन्टिस्टनल के लक्षण उजागर


कोविड-19 के सबसे विशिष्ट गेस्ट्रोइन्टिस्टनल संकेत में डायरिया (2-50 फीसद), भूख की कमी (30-40 फीसद), हेपटाइटिस (14-53 फीसद), पाचन के संकेत (3-23 फीसद), उल्टी और जी मिचलाना (1-12 फीसद) शामिल हैं. डॉक्टर नीरज निश्चल ने गेस्ट्रोइन्टिस्टनल संकेत के अलावा, कोविड-19 के कारण क्लोटिंग की समस्या, कोरोनरी हार्ट और दिमागी स्थिति के बारे में भी बताया.


डॉक्टर निश्चल ने डेटा के हवाले से बताया कि वार्ड के 540 कोविड-19 मरीजों में डेंगू और ब्लड कैंसर को छोड़कर 27 फीसद मरीजों का प्लेटलेट कम था और 2.9 फीसद मरीजों में प्लेटलेट की मात्रा अत्यंत कम पाई गई. डेंगू और ब्लड कैंसर दोनों कम प्लेटलेट की मात्रा का कारण बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 मरीजों में पल्मोनरी एम्बोलिज्म सेहतमंद लोगों के मुकाबले अत्यधिक ऊंचा 20.6 फीसद होता है. आपको बता दें कि पल्मोनरी एम्बोलिज्म रक्तवाहिनी में रक्त के थक्के से एकाएक उत्पन्न होने वाला अवरोध है.


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