दुनिया की 45 फीसद आबादी यानी करीब 4 बिलियन लोगों का 2050 तक वजन अधिक हो सकता है. पोट्सडैम इंस्टीट्यूट फोर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के शोध में चौंकानेवाला खुलासा किया गया है. रिपोर्ट में प्रोसेस्ड फूड पर वर्तमान वैश्विक खानपान के रुजहान को लेकर चेतावनी भी जारी की गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर लोगों के प्रोसेस्ड फूड खाने का रुजहान जारी रहा तो 45 फीसद में से 16 फीसद लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं.


2050 तक4 बिलियन लोगों के शरीर का बढ़ जाएगा भार


प्रोसेस्ड फूड से होनेवाले स्वास्थ्य नुकसान को लेकर माना जा रहा है कि ये पहला शोध है. 1965 और 2100 के बीच वैश्विक खानपान की आदतों में होनेवाले बदलाव का अवलोकन करने के बाद शोधकर्ताओं ने नतीजा निकला है. उन्होंने ओपेन सोर्स मॉडल का इस्तेमाल कर भविष्यवाणी कि कैसे फूड की मांग से प्रकृति को बचाने के लिए पृथ्वी की क्षमता पर काफी दबाव पड़ेगा.


प्रोसेस्ड फूड खाने के रुजहान पर किया गया शोध


फूड के उत्पादन में पहले ही दुनिया के ताजा पानी का तीन चौथाई और एक तिहाई जमीन इस्तेमाल हो रहा है. शोधकर्ताओं का मानना है कि खाद्य की बर्बादी के साथ बढ़ती हुई असमानता के नतीजे में भी आधे बिलियन लोग आधी सदी तक कुपोषित हो जाएंगे. पैदा किए जानेवाले फूड भंडारण या अत्यधिक खरीद की कमी के कारण इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं. रिपोर्ट के सह लेखक प्रजल प्रधान ने कहा, "दुनिया में खाद्य की कमी नहीं है.


समस्या ये है कि धरती पर सबसे गरीब लोगों की आसानी से खरीदने की क्षमता नहीं है जबकि अमीर मुल्कों में लोग फूड की बर्बादी के आर्थिक और पर्यावरणीय अंजाम को महसूस नहीं करते हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु पर एक पैनल ने स्पेशल रिपोर्ट में पिछले साल चेतावनी दी थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि इंसानियत को बड़े पैमाने पर खाद्य सुरक्षा और बढ़ते तापमान के बीच अंतर खतरनाक स्थिति का सामना करना होगा. लिहाजा, बचने के लिए जरूरी है कि उत्सर्जन को काबू किया जाए और जंगल की कटाई को रोका जाए.


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