नई दिल्ली: विकसित देशों की तुलना में भारत में 40 वर्ष से 69 वर्ष तक के आयुवर्ग में कोरोना वायरस संक्रमण के ज्यादा मामले सामने आए हैं. इसके अलावा मृतकों में भी इसी आयुवर्ग के अधिक लोग शामिल हैं. कोविड-19 वैश्विक महामारी पर अब तक के सबसे बड़े विश्लेषण से खुलासा हुआ है.


कोविड-19 पर अबतक का सबसे बड़ा विश्लेषण


विश्लेषण करने वालों आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकार के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं. ‘साइंस’ पत्रिका में अध्ययन को प्रकाशित किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों राज्यों में 5 लाख 75 हजार 71 लोगों में कोविड बीमारी के संक्रमण के तरीके का आकलन किया गया. आंकड़ों के आधार पर बताया कि अधिक आयु वाले देशों की तुलना में दोनों भारतीय राज्यों के युवकों में संक्रमण के अधिक मामले सामने आए हैं. इसके अलावा बीमारी से मरनेवालों में ज्यादातर युवा शामिल हैं.


अध्ययन में कहा गया है कि समान आयु के संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से संक्रमण का अधिक खतरा होता है. उनका दावा है कि ऐसा नवजात से 14 वर्ष के बच्चों एवं 65 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगो में अधिक देखा गया है. संक्रमण के मामलों एवं मृतकों का अनुपात पांच वर्ष से 17 वर्ष के आयुवर्ग में 0.05 प्रतिशत है जबकि 85 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में 16.6 प्रतिशत का अनुपात है.


भारत में 40 वर्ष से 69 वर्ष तक के आयुवाले ज्यादा संक्रमित 


अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि दोनों राज्यों में मरीज मौत से पहले अस्पताल में औसतन पांच दिन रहे, जबकि अमेरिका में मरीज को मौत से पहले करीब 13 दिन अस्पताल में रहना पड़ा. आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु भारत के उन राज्यों में शामिल हैं जहां स्वास्थ्यकर्मियों की सर्वाधिक संख्या है और प्रति व्यक्ति सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च में भी सबसे अधिक हैं. अध्ययन में पाया गया है कि मृतकों में 63 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो पहले से किसी एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे और 36 प्रतिशत लोगों को पहले से दो या अधिक बीमारियां थीं.


वैज्ञानिकों ने बताया कि मृतकों में से 45 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित थे. नई दिल्ली में ‘सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी’ के वैज्ञानिक आर लक्ष्मीनारायण ने कहा, "अध्ययन के निष्कर्ष कम एवं मध्यम आय वाले देशों में महामारी फैलने के तरीके के बारे में जानकारी देते हैं. यह अध्ययन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के प्रयासों से संभव हुआ. जिसमें दोनों राज्यों के हजारों स्वास्थ्यसेवा कर्मियों ने मदद की.


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