Parenting Tips: कहते हैं बच्चे कच्चे घड़े की तरह होते हैं उन्हें जिस भी शेप,साइज में ढ़ाला जाए वो वैसे ही होते चले जाते हैं. बच्चे अगर अच्छे निकल जाएं तो माता-पिता के जीवन भर की तपस्या सफल हो जाती है, जिसके लिए बच्चों को अच्छी परवरिश से सींचना होता है. मगर बच्चों की अच्छी परवरिश करना कोई आसान काम तो नहीं होता मगर ये एक ऐसी जिम्मेदारी है जो हर बच्चे को लायक इंसान बनने में मदद करती है. गलत परवरिश और लापरवाही से बच्चे हाथ से बे-हाथ भी हो सकते हैं. 


इसलिए परवरिश के दौरान ये जरूरी है कि सही उम्र और सही समय पर ही बच्चों को कुछ बुनियादी चीजें सिखला दी जाए, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़े, वे आत्मनिर्भर बनें, फैसले लेना सीखें, सही-गलत में फर्क करना उन्हें आ पाए और खुद का और खुद की सोच का ख्याल भी भली-भांति रख लें. 


ऐसे में यहां हम आपको बता रहे हैं कि आप अपने बढ़ते बच्‍चों को कौन सी 5 बातें जरूर सिखा दें...


1. मनी मैनेजमेंट 
अगर आपका बच्चा 15 साल से ज्यादा का हो चुका है तो उसका बैंक अकाउंट जरूर खोल दें. उन्हें सिखलाएं कि स्कूल का बजट किस तरह बनाया जा सकता है. खेलकूद, ट्रैवल के लिए किस तरह सेविंग करना है. चेक लिखना और डिपोजिट करना जरूर सिखला दें. 


2. कपड़े और कमरे की सफाई
बच्चों को ये जरूर सिखला दें कि वे किस तरह अपना या घर वालों के कपड़े साफ कर सकते हैं. धूप में सुखाना,सफेद कपड़े का ख्याल, दाग छुड़ाने का सही तरीका...साथ ही कमरे को कैसे साफ रखना है और कमरे को कैसे अरेंज करके रखना है. 


3. फर्स्ड एड की जानकारी
बीमार पड़ने, खांसी-सर्दी, मामूली चोट लगने में कौन सी दवा लेनी है या कौन से ईलाज लेने या परहेज बरतने हैं इसकी जानकारी उन्‍हें दें. यही नहीं, घर का सदस्‍य अगर बीमार है तो उसकी किस तरह देखभाल करनी है यह सब जानकारी भी आप उसे जरूर दें .


4. 'होम एलोन' रहना 
यानि घर पर अकेले रहना भी सीखना. अगर आप अपने बच्चे को कुछ घंटे के लिए अकेला छोड़ते हैं तो वे इससे वे घर की देखभाल करना सीखते हैं और जिम्मेदार भी बनते हैं. इसलिए अपने बच्चे को कभी-कभी घर पर अकेले भी छोड़ना सीखें. उन्हें सेफ्टी रूल भी बता दें. 


5. अकेले ट्रैवल करना
टीनएज ऐसी उम्र है जब बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं और जिम्मेदारी भी समझ पाते हैं. ऐसे में उन्‍हें घर से स्‍कूल जाने या स्‍कूल से घर तक आने के लिए किस तरह ट्रांसपोर्ट लेना है, यह जरूर सिखाएं. इस तरह वे खुद की जिम्‍मेदारी लेना सीखेंगे और ऐसे में वो मैच्योर हो पायेंगे. 


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