अफगानिस्तान में महिलाएं घरों से बाहर अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रही हैं. कंधार में एक फिटनेस सेंटर सिर्फ महिलाओं के लिए खोला गया है. ये मुल्क में अपने तरह का पहला जिम है. हर दिन यहां करीब 50 महिलाएं व्यायाम करने के लिए आती हैं. रूढ़िवादी अफगानिस्तान में इस तरह का दृश्य इससे पहले नहीं देखा गया है. जहां महिलाएं आकर खुद को स्वस्थ रखने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकें.


कंधार में सिर्फ महिलाओं के लिए जिम


फिटनेस सेंटर में आनेवाली एक महिला फातिमा हाशमी कहती हैं, “इसमें कोई शक नहीं है कि यहां आना बिना खौफ के नहीं है. हर कोई जानता है कि ऐसी हालत में महिलाएं ज्यादा भयभीत रहती हैं. लेकिन दूसरे नजरिए से देखा जाए तो व्यायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए मुफीद और खुशी देनेवाला है. इसलिए हम अपने उद्देश्य पर ज्यादा ध्यान देते हैं और खौफ को नजरअंदाज करते हैं.”


इंस्ट्रक्टर सना जान के लिए जिम आर्थिक स्वावलंबन और सुरक्षा का जरिया है. उन्होंने कहा, “मैं यहां काम कर बहुत खुश हूं. मैं अन्य महिलाओं के अलावा खुद की भी मदद कर सकती हूं. यहां की कमाई मेरे परिवार के लिए बड़ी आर्थिक मदद है.” मल्लिका सुरैया जिम की संस्थापक मरयम दुर्रानी ने बताया कि महिलाओं की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी जबकि पुरुषों को थोड़ा संदेह था.


उन्होंने कहा, “महिलाओं की प्रतिक्रिया बहुत ज्यादा सकारात्मक थी क्योंकि उन्हें इसकी जरूरत थी. लेकिन पुरुषों की तरफ से मिलनेवाली प्रतिक्रिया ने मुझे सबसे ज्यादा परेशानी में डाला. हैरानी तो इस बात पर हुई कि शिक्षित और खुद को बुद्धिजीवी कहनेवाले लोगों को भी संदेह था. उन्होंने हमारे फिटनेस सेंटर के खिलाफ नकारात्मक रुजहान जाहिर किया. यहां तक मुझे उनसे अपमानित भी होना पड़ा क्योंकि उनका मानना था कि हमारा जिम शरिया के खिलाफ है.”


मरियम इस तरह के विरोध की आदी हो चुकी हैं. मरियम जिम चलाने के अलावा महिलाओं के लिए रेडियो स्टेशन का भी संचालन करती हैं. उन्होंने पिछले साल महिलाओं के लिए फिटनेस सेंटर की शुरुआत की थी. उनका मानना है कि रूढ़िवादी लोगों की धमकी भी उन्हें खौफजदा नहीं कर सकी.





तालिबान की वापसी से लगता है डर


अफगानिस्तान में तालिबान शासन के दौरान 1996 से 2006 तक महिलाओं का घरों से बाहर निकलना बैन था. हालांकि परिवार के किसी पुरुष सदस्य के साथ उन्हें बाहर निकलने की इजाजत थी. शिक्षा और स्प़ॉर्ट्स भी महिलाओं की पहुंच से दूर था. आज अफगान महिलाएं सिर्फ किचन तक कैद नहीं हैं.


उन्हें अपने सपनों का पीछा करने की आजादी है. हालांकि उन्हें इस बात की चिंता है कि अगर तालिबान की सत्ता में वापसी हो गई तो एक बार फिर उनका घर की दहलीज से बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है. तालिबान का अमेरिका के साथ पहले ही समझौता हो चुका है. वाशिंगटन अफगानिस्तान से अपनी फौज की वापसी चाहता है.


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