कैंसर, एक शब्द जिसे सुनते ही दिल थम जाता है, एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकती है। फिर भी, जब हम आंकड़ों पर नजर डालते हैं, तो पता चलता है कि 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में इसके मामले ज्यादा होते हैं. विश्व स्तर पर कैंसर से होने वाली मौतों में से 70% से अधिक मामले 50 वर्ष से ऊपर की उम्र के होते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर में परिवर्तन, कोशिकाओं की क्षति में वृद्धि, प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी आना आदि. आइए जानते हैं युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों में कैंसर का खतरा ज्यादा क्यों होता है?
कोशिकाओं में बदलाव
जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे शरीर की कोशिकाएं भी बूढ़ी होती जाती है. ये कोशिकाएं बांटती हैं, और कभी-कभार इसमें गलतियां हो जाती हैं. जैसे गलत लिखावट में अक्षर गलत हो जाए, वैसे ही कोशिकाओं में भी 'गलतियां' हो जाती हैं, जिन्हें 'म्यूटेशन' कहते हैं. जब हम छोटे होते हैं, तो हमारा शरीर इन 'गलतियों' को सही कर लेता है, लेकिन उम्र के साथ यह क्षमता कम हो जाती है. इसीलिए बड़े लोगों में कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है.
कमजोर इम्यूनिटी
बड़े होने पर हमारा शरीर कमजोर हो जाता है. यह न सिर्फ कोशिकाओं के मरम्मत में कमजोर होता है, बल्कि हमारी रक्षा प्रणाली भी कमजोर पड़ जाती है. जब हम युवा होते हैं तो हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने में ज्यादा मजबूत होता है. लेकिन जैसे-जैसे उम्र ढलती है वैसे-वैसे लड़ने की शक्ति कम हो जाती है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियां आसानी से हमला कर सकती हैं.
लाइफस्टाइल में बदलाव
उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी जीवनशैली भी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का बड़ा कारण बन सकती है. यदि हम अपनी जीवनशैली का विशेष ध्यान न रखें, तो 50-60 साल की उम्र के बाद कैंसर जैसी बीमारियां होने का खतरा काफी बढ़ जाता है. कुछ ऐसी आदतें जो इस खतरे को और बढ़ा देती हैं वे हैं - धूम्रपान, शराब पीना , अनहेल्दी खान-पान, मोटापा आदि. इनसे बचकर और स्वस्थ रहकर हम बुढ़ापे में कैंसर जैसी भयानक बीमारियों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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