20 साल जिंदगी का ऐसा समय होता है जब हम वर्कआउट से लेकर डाइट तक में प्रयोग करना चाहते हैं. फिटनेस प्रेमी 20 वर्ष की उम्र में ये सोचकर प्रयास करते हैं कि उनके शरीर के मुताबिक अनुकूल रास्ते तलाश करने का यही समय है. लेकिन, बहुत कम सोचते हैं कि ये कीमती साल जिंदगी में बाद के दौर की बुनियाद डालते हैं. ठीक बचपन की तरह जब माता-पिता पोषण सेवन को बढ़ाने के लिए नियमित दूध के इस्तेमाल, सब्जी और दूसरे स्वस्थ फूड्स खाने पर जोर देते हैं, 20 साल की उम्र भी वैसा ही है जब स्वस्थ डाइट को बनाए रखने और खास आदतों को विकसित करने की जरूरत होती है जो लंबी उम्र को बढ़ावा दे सके और पुरानी बीमारियों को दूर कर सके.
अपनी डाइट में कैल्शियम शामिल करें- बुजुर्गों में तेजी से बढ़नेवाली एक सबसे आम स्थिति अर्थराइटिस की होती है. खुद को खतरे से सुरक्षित रखने के लिए 20 साल के शुरू होने पर अपनी डाइट में कैल्शियम से भरपूर फूड्स को शामिल कर हड्डियों को मजबूत बनाने का सुझाव दिया जाता है. दूध से एलर्जी वालों के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे सरसों का साग और दही, पनीर को डाइट में बनाए रहने की सलाह दी जाती है.
मसालों का त्याग न करें- मसाला छोड़ने की एक आम गलती युवाओं से होती है. भारतीय डिश मसालों की अधिकता समेटे हुए होते हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं. नमक और मिर्च के अलावा, हल्दी, धनिया, लौंग, जीरा जैसे मसाले हैं जो भोजन के स्वाद को बढ़ाते हैं, इम्यून सिस्टम और अंगों की मजबूती का बिना इस्तेमाल के हमें एहसास कराते हैं.
सलाद को हद से ज्यादा न खाएं- बात जब वजन कम करने की आती है, तो कई लोगों के लिए सलाद नियमित भोजन का बिना कहे विकल्प होता है. लेकिन, सच्चाई यही है कि सब्जियों, मक्का की थोड़ी मात्रा, ग्रील चिकेन और पनीर को मिलाना डाइट का स्थायी समाधान नहीं है. समय गुजरने पर नीरस हो सकता है. मजेदार बनाने के लिए उबला पास्ता, भूनी सब्जी को जोड़ें जिसमें आपके शरीर का सभी जरूरी पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, प्रोटीन, सेहतमंद फैट्स और विटामिन हो.
फैट्स को न हटाएं- वजन कम करनेवालों के लिए फैट्स दुश्मन समझे जाते हैं. हालांकि, फैट्स सेहतमंद और गैर सेहतमंद दोनों हैं. सेहतमंद फैट्स नट्स, फैटी मछली जैसे टूना, सालमन, मार्केल और सीड्स जैसे पटनस के बीजस सूरजमुखी के बीज, देसी घी में मौजूद होते हैं. ये स्वस्थ कोलेस्ट्रोल लेवल को बनाए रखने में मदद करते हैं और जोड़ों को लचक देते हैं जो बाद की जिंदगी में अर्थराइटिस के जोखिम को कम करता है.
शराब के साथ स्वस्थ संबंध बनाएं- 20 वर्ष की उम्र होने पर अल्कोहल के सेवन को स्वस्थ संतुलन पैदा करने के लिए नियंत्रित करने की जरूरत होती है. एक या अधिक से अधिक दो ग्लास रेड वाइन एक दिन में बेहतर दिल की सेहत, आंत की सेहत, डायबिटीज का कम खतरा और बेहतर ब्लड प्रेशर नियंत्रण से जुड़ता है.
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