Coronavirus के हल्के से मध्यम लक्षणों का इलाज करने में आयुर्वेदिक दवा हो सकती है असरदार-अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान
कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभावी इलाज के लिए पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है.देश में आयुष मंत्रालय के अधीन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने बड़ा दावा किया है.
कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में आयुर्वेदिक दवाइयों का हस्तक्षेप निम्न से मध्यम लक्षण में प्रभावी हो सकता है. आयुष मंत्रालय के अधीन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) ने दावा किया है. संस्थान के डॉक्टरों का कहना है कि आयुर्वेद की एंटीबायोटिक दवा फीफाट्रोल और आयुष क्वाथ या काढ़ा 'संक्षिप्त समय' में 'लक्षणों की पूर्ण निकासी' के साथ कोविड-19 संक्रमण के निम्न से मध्यम मामलों में असर कर सकते हैं.
क्या आयुर्वेदिक दवा कोविड-19 के इलाज में मुफीद हो सकती है?
अक्टूबर में अखिल भारतीय आयुवर्दे संस्थान की पत्रिका 'आयुर्वेद केस रिपोर्ट' की प्रकाशित रिपोर्ट में चार आयुर्वेदिक दवाइयों से होनेवाले प्रभाव का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आयुष क्वाथ, संशमनी वटी, फीफाट्रोल और लक्ष्मीविलास रस से न सिर्फ कोविड-19 के मरीज की स्थिति में सुधार हुआ बल्कि इलाज के छह दिनों के अंदर रैपिड एंटीजन टेस्ट निगेटिव भी आया. पत्रिका में कोरोना वायरस से संक्रमित एक 30 वर्षीय पुरुष स्वास्थ्य कर्मी का हवाला दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, उसका संक्रमण संशमनी थेरेपी से संतुलित हो गया. संशमनी इलाज में आयुष क्वाथ, संशमनी वटी, फीफाट्रोल और लक्ष्मीविलास रस का सेवन शामिल था. दिल्ली निवासी मरीज को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद होम क्वारंटाइन करने की सलाह दी गई थी. उसे मुख्य रूप से संक्रमण का मध्यम लक्षणों की शिकायत थी. मरीज की जीवन शैली, डाइट और शांतिदायक उपचार समेत सत्वावजय चिकित्सा के दृष्टिकोण को अपनाया गया. उसके असर से रोगसूचक राहत जैसे बुखार, सांस की तकलीफ, अरुचि, थकान, एनोस्मिया समेत वायरल लोड के समाधान में भी प्रभावी साबित हुआ.
मामूली या मध्यम संक्रमण के मामलों में बताया गया प्रभावी
दवा के इस्तेमाल के छह दिनों में कोविड-19 का मरीज रैपिड एंटीजन टेस्ट में निगेटिव आया और 16वें दिन किया गया RT-PRC जांच भी निगेटिव पाया गया. हर्बल दवा फीफाट्रोल संक्रमण, फ्लू और सर्दी से लड़ने में मदद करती है. आयुष क्वाथ किचन में इस्तेमाल होनेवाली चार जड़ी बूटियों जैसे तुलसी, दालचीनी, सौंठ और काली मिर्च का मिश्रण है. संशमनी वटी या गुडूची घना वटी सभी तरह के बुखार में इस्तेमाल होनेवाला आयुर्वेदिक हर्बल सूत्रीकरण है. रिपोर्ट को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के डॉक्टरों श्रिशिर कुमार मंडल, मीनाक्षी शर्मा, चारू शर्मा, शालिनी राय और आनंद ने लिखा है.
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