अल्लाह की राह में पैगम्बर इब्राहिम (पैगम्बर मोहम्मद से पहले जमीन पर आए अवतार) की कुर्बानियों की याद में मनाए जानेवाले त्योहार को ईद उल अजहा या बकरीद कहा जाता है. ये त्योहार पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं. अल्लाह के नाम पर कुर्बानी करने का इस्लाम में बड़ा महत्व है. आर्थिक रूप से संपन्न मुसलमान पर अल्लाह की राह में जानवर की कुर्बानी करना फर्ज (जरूरी) है.
भारत में कब है बकरीद?
इस साल, बकरीद मंगलवार, 20 जुलाई, 2021 को पड़ने की संभावना है. लेकिन ये संभावित तारीख है क्योंकि वास्तविक तारीख का एलान ईद उल अजहा का चांद नजर आने के बाद होगा. इसकी तारीख एक दिन आगे या पीछे हो सकती है. ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है. बकरीद के दिन सुबह में नमाज अदा करने के साथ ही ईद मनाने की शुरुआत हो जाती है. इस्लाम अपने अनुयायियों को खुशी के मौके पर गरीबों को नहीं भूलने की सीख देता है.
बकरीद का महत्व जानिए
दुनिया भर के मुसलमान ईद की तरह कुर्बानी पर भी गरीबों का खास ख्याल रखते हैं. कुर्बानी के सामान का तीन हिस्सा बांटकर एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है. दो हिस्सों में एक खुद के लिए और दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है. मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई. अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा. इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हो गए थे, लेकिन अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया. उसके बजाए, उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा. इस तरह, पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की तरफ से ली गई परीक्षा में सच्चे साबित हुए. यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों पैगंबर इब्राहिम, इस्माइल को अपना अवतार मानते हैं.
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