बर्लिन: जैज़ पियानोवादकों और शास्त्रीय पियानोवादकों का दिमाग अलग-अलग तरीके से काम करता है और शायद इसीलिए पेशेवर संगीतकारों को भी दोनों शैलियों को समान महारत के साथ बजाने में दिक्कत होती है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है.
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
जर्मनी स्थित ‘मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन कॉगनिटिव एंड ब्रेन साइंसेज’ (एमपीआई सीबीएस) के वैज्ञानिकों के अनुसार समान संगीत बजाते समय भी जैज़ एवं शास्त्रीय पियानोवादकों के दिमागों में अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
एमपीआई सीबीएस में तंत्रिका वैज्ञानिक डेनीला सैम्मलर ने कहा कि इसका कारण यह हो सकता है कि दोनों शैलियां संगीतज्ञों से अलग-अलग मांग करती हैं- भले ही वह शास्त्रीय संगीत का दक्षता से प्रदर्शन करने या जैज़ में कलात्मक सुधार की बात हो.
शास्त्रीय पियानोवादक ‘‘कैसे’’ और जैज़ पियानोवादक ‘‘क्या’’ पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं. शास्त्रीय पियानोवादकों का ध्यान अपनी तकनीक को लेकर सटीकता और निजी अभिव्यक्ति को शामिल करने पर केंद्रित होता है जबकि जैज़ पियानोवादक हमेशा कुछ नया करने और अनूठे संगीत रचने के लिए तैयार रहते हैं.
ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.