Breast Cancer: क्या क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण मैमो स्कैन का स्वीकार्य विकल्प है? जानें रिसर्च के नतीजे
क्या क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण मैमोग्राफिक स्क्रीनिंग का स्वीकार्य विकल्प हो सकता है? 20 साल तक चले रिसर्च में टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल ने बड़ा खुलासा किया है. गौरतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं के बीच सबसे आम कैंसर का प्रकार है.
Breast Cancer: टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल के रिसर्च में ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण को मैमोग्राफी के बराबर प्रभावी पाया गया है. ब्रिटेन के बीएमजे में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, दक्ष स्वास्थ्य पेशवरों ने 15-20 मिनट के क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण में पाया कि उसकी शुरू में ही पहचान हो गई और 50 साल या उससे ऊपर की करीब 30 फीसद महिलाओं की मृत्यु दर में कमी देखी गई.
ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण
टाटा मेमोरियल सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर राजेंद्र बडवे ने कहा, "तकनीक भारत में एक साल में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी 15 हजार और निम्न, मध्यम आमदनी वाले मुल्कों में 40 हजार जिंदगी को बचाने में मदद कर सकती है." ब्रेस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं के बीच सबसे आम कैंसर का प्रकार है. 1998 में शुरू हुई रिसर्च के लिए 1.5 लाख महिलाओं को वॉलेंटियर बनाया गया था. हाल के वर्षों में ब्रेस्ट कैंसर देश में कैंसर से होनेवाली मौत का सबसे बड़ा फैक्टर के तौर पर उभरा है. इसकी एक वजह कैंसर की देर से पहचान है.
मुंबई में ब्रेस्ट कैंसर की घटना में 1992 और 2016 के बीच करीब 40 फीसद की वृद्धि हुई. रिसर्च करनेवाली टीम में से एक डॉ बडवे ने कहा, "ब्रेस्ट कैंसर का मामला भारत में सालाना एक लाख की आबादी पर करीब 30 पाया गया है. हर साल एक लाख पर मौत की दर 15 फीसद होती है. फिर भी, क्लीनिकल ब्रेस्ट कैंसर परीक्षण से मृत्यु दर में 30 फीसद की कमी स्पष्ट है." आपको बता दें कि ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए तीन प्रमुख तरीके हैं- सेल्फ ब्रेस्ट परीक्षण, स्वास्थ्य कर्मी के जरिए क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण या मैमोग्राफी के तौर पर स्कैन.
टाटा मेमोरियल के रिसर्च में मैमोग्राफी के बराबर प्रभावी
ब्रेस्ट सेल्फ परीक्षण ब्रेस्ट कैंसर के बुनियादी जांच की प्रक्रिया है जिसमें आप अपने ब्रेस्ट का खुद से चेकअप कर पता लगा सकती हैं कि कहीं आप ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में तो नहीं हैं. ब्रेस्ट कैंसर के पहले चरण में चेकअप से शुरू में ही इलाज कराना आसान हो जाता है. ब्रेस्ट की स्क्रीनिंग के लिए मैमोग्राफी या मैमोग्राम एक उपकरण है, जिसका इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने और इलाज करने में किया जाता है.
डॉक्टर गौरवी मिश्रा का कहना है कि इस बात को बताने के सबूत हैं कि सेल्फ ब्रेस्ट परीक्षण काफी प्रभावी है. हालांकि, पूर्व में रिसर्च से पता चला था कि मैमोग्राफी स्कैन ने 50 साल से ऊपर की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के चलते मौत को 30 फीसद तक कम किया, मगर क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण के संबंध में इस तरह का रिसर्च नहीं किया गया था. मैमोग्राफी पश्चिमी देशों और भारत के शहरी केंद्रों में लोकप्रिय है, लेकिन स्कैन की सुविधा गांव स्तर पर उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा, मैमोग्राफी पर आनेवाली लागत करीब दो हजार रुपए होती है.
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