एंटीबॉडीज की अहम भूमिका न सिर्फ संक्रमण का इलाज करने में होती है बल्कि उसको रोकने में भी होती है. एक बार जब शरीर में खास रोगाणु के खिलाफ एंटीबॉडीज बन जाती है, तो रोगाणु के लिए संक्रमण की वजह बनना मुश्किल हो सकता है, कम से कम कुछ वक्त के लिए. ये इस बात पर निर्भर करती है कि आपके अंदर एंटीबॉडीज कितने समय तक बची रहती है.
सार्स-कोव-2 के मामले में शुरुआती तौर पाया गया था कि एक ही तरह के वायरस, जैसे सामान्य जुकाम के वायरस से एंटीबॉडीज किसी हद तक कोरोना वायरस से सुरक्षा दे सकते हैं. लेकिन, शोधकर्ताओं ने अब सुझाया है कि सामान्य जुकाम से मिलनेवाली एंटीबॉडीज कोरोना वायरस संक्रमण को दूर रखने में सक्षम नहीं हो सकती.
क्या सामान्य जुकाम के वायरस बचाते हैं कोविड-19 से?
पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय की एक ब्रांच में रिसर्च को अंजाम दिया गया. शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस महामारी से पहले इकट्ठा किए गए सैंकड़ों ब्लड सैंपल का परीक्षण किया. उनका मकसद मौसमी कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडीज का पता लगाना था. रिसर्च के नतीजों को सेल नामक पत्रिका में फरवरी के शुरू में प्रकाशित किया गया है. शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्लड सैंपल के करीब 20 फीसद में मौसमी कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज थी. लेकिन ये एंटीबॉडीज सार्स-कोविड-2 की संक्रामकता को बेअसर करने में सक्षम नहीं थीं, और बाद में कोविड-19 से संक्रमित होनेवाले लोग बेहतर परिणामों के साथ जुड़े नहीं थे.
मौसमी कोरोना वायरस बनाम सार्स-कोव-2 पर रिसर्च
खोज पर जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, शोधकर्ताओं को इस बात के सबूत भी मिले कि सामान्य जुकाम की एंटीबॉडीज बच्चों को गंभीर कोविड-19 से छोड़ नहीं सकती, जैसा कि पूर्व में बताया गया था. कितनी बार छोटे बच्चे संक्रमित होते हैं और कितनी जल्दी वायरस का प्रसार दूसरों तक करते हैं, ये मुद्दा महामारी की शुरुआत से बहस का विषय रहा है. शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि व्यस्क और बच्चों के पास मौसमी कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडीज का लेवल समान था.
उन्होंने बताया कि इससे साबित होता है कि मौसमी मौसमी कोरोना वायरस से मिलनेवाली एंटीबॉडीज बच्चों में कोविड-19 के गंभीर लक्षण के खिलाफ सुरक्षा देने का फैक्टर नहीं है, जिनको कोरोना वायरस का कम लक्षण या कोई लक्षण जाहिर नहीं होता. रिसर्च के मुताबिक, पूर्व के सामान्य जुकाम के संक्रमण से एंटीबॉडीज कोविड-19 संक्रमण को नहीं को नहीं रोकती है.