नई रिसर्च कहती है कि जिन लोगों को फ्लू की वैक्सीन लगाई जा चुकी है उनको कोरोना वायरस से संक्रमित होने का कम खतरा है. फ्लू वैक्सीन के टीकाकरण के बाद पॉजिटिव पाए गए लोगों को सिर्फ हल्का लक्षण हो सकता है या कम कॉम्पलीकेशंस का सामना कर सकते हैं. रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 27,000 मरीजों के मेडिकल चार्ट का विश्लेषण किया.
फ्लू की वैक्सीन से कोरोना वायरस संक्रमण का कम खतरा
ये सभी मरीज 2020 के मार्च और मध्य जुलाई के बीच मिशिनग मेडिसीन में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. उन्होंने बताया कि पिछले साल फ्लू की वैक्सीन लगवाने वाले 13,000 में से मात्र 4 फीसदी कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए और जिन 14,000 मरीजों ने फ्लू की वैक्सीन इस्तेमाल नहीं किया था, उनमें से करीब पांच फीसदी में कोरोना संक्रमण का मामला उजागर हुआ.
मिशिनग मेडिसीन यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन का एकेडमिक मेडिकल सेंटर है. शोधकर्ता मरियन होफमन कहती हैं, "ये वैक्सीन लगाने में संकोच के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है और मैंने अपने मरीजों को फ्लू की वैक्सीन लगवाने की सिफारिश जारी है." शोधकर्ताओं ने देखा कि जिन लोगों को फ्लू का टीकाकरण हुआ था, उनको स्पष्ट रूप से अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी कम पड़ी. हालांकि, उन्होंने दोनों ग्रुप के बीच मृत्यु दर में स्पष्ट अंतर नहीं पाया.
संक्रमित रोगियों में हल्का लक्षण या कम पेचीदगी जाहिर
रिसर्च में शामिल कोई भी एक समय में दोनों संक्रमण से पॉजिटिव नहीं पाया गया. होफमन कहती हैं कि संबंध के पीछे छिपा हुआ तंत्र अभी तक स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा, "संभव है कि फ्लू की वैक्सीन लगवाने वालों ने सोशल डिस्टेंसिंग और सीडीसी की गाइडलाइन्स का भी ज्यादा पालन किया. हालांकि, ये प्रशंसनीय भी है कि फ्लू की वैक्सीन का इम्यून सिस्टम पर प्रत्यक्ष जैविक प्रभाव हो सकता है जो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई से मिलता-जुलता है."
कई महीने पहले होफमन कोरोना वायरस संक्रमण के साथ फ्लू की वैक्सीन से जुड़ी ऑनलाइन गलत खबर को देखकर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा, "कोविड-19 और फ्लू की वैक्सीन के बीच चिंताजनक संबंध के बजाए हमारी खोज ज्यादा विश्वास जताती है कि फ्लू की वैक्सीन लगवाना कोविड-19 के चलते अस्पताल से बाहर रहने से जुड़ा है." रिसर्च के नतीजे को अमेरिकन जर्नल ऑफ इंफेक्शन कंट्रोल में प्रकाशित किया गया है.
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