वैज्ञानिक कोविड-19 के लक्षण वाले लोगों को आइवरमेक्टिन ये पता लगाने के लिए देना शुरू करेंगे कि क्या दवा संक्रमित मरीजों को घर पर ठीक होने में मदद कर सकती है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एंटीपैरासिटिक दवा के परीक्षण की अगुवाई कर रहे हैं. रिसर्च ऑक्सफोर्ड प्रिसिंपल ट्रायल का हिस्सा है, जिसका मकसद वायरस की प्रगति को रोकने या धीमा करने के लिए इलाज की तलाश है.
क्या जूं मारनेवाली दवा से होगा कोविड-19 का इलाज?
आइवरमेक्टिन पहले ही करीब 20 देशों में कोविड-19 का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जा रही लेकिन सिर्फ ब्रिटेन में परजीवी कीड़ों, सिर की जूं, खुजली और स्किन की बीमारी के लिए उपचार के तौर पर लाइसेंस प्राप्त है. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इलाज की तलाश कर अस्पताल की जरूरत से कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार पड़ने के सबसे ज्यादा जोखिम वालों को रोका जा सकेगा. एंटीपैरासिटिक दवा के तौर पर आइवरमेक्टिन का विकास 1970 की दहाई में किया गया था. आज दवा को सिर की जूं, खुजली और स्किन की बीमारी का इलाज करने के लिए लिखा जाता है.
ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक असर का पता लगाने में जुटे
बोरिस जॉनसन पहले ही घरेलू कोविड-19 के उपचार को खोजने में मदद करने का संकल्प ले चुके हैं. उम्मीद है कि संक्रमित ब्रिटेन वासी इस पतझड़ तक बीमारी के लक्षणों को मात देने के लिए गोली लेने में सक्षण हो पाएंगे. हालांकि, अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है कि क्या आइवरमेक्टिन इलाज कर सकती है या नहीं. 11 रिसर्च के विश्लेषण से पता चला है कि ये संक्रमित मरीजों में मौत के खतरे को कम करती है और उनको जल्द ठीक होने में मदद करती है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि नतीजे शुरुआती हैं, और किसी सटीक नतीजे पर पहुंचने से पहले अतिरिक्त डेटा की मांग की है. दवा के प्रभाव की जांच में जुटे ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि घरेलू उपचार का दरवाजा खुलने से संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकेगा क्योंकि लैब आधारित रिसर्च में पाया गया है कि आइवरमेक्टिन कोविड-19 को फैलने से रोक सकती है.
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