आपने जरूर सुना होगा कि कम से कम छह महीनों तक जन्म के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना बेहद फायदेमंद है. ये बच्चे की सेहत को सुनिश्चित करने का एक सबसे अच्छा तरीका है. लेकिन ब्रेस्ट का दूध आपके बच्चे की संक्रमण से रक्षा भी कर सकता है क्योंकि ये सेहतमंद सामग्रियों से भरपूर होता है. कई रिसर्च में पाया गया है कि छह महीनों तक ब्रेस्ट का दूध पीनेवाले बच्चों को डायरिया, जुकाम और फ्लू समेत कई बीमारियों का कम जोखिम होता है. अब, एक नई रिसर्च कहती है कि ब्रेस्ट दूध में यौगिक होते हैं जो नवजात के ग्रुप B स्ट्रेप्टोकोकस (जीबीएस) संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं.
क्या है GBS का संक्रमण?
शोधकर्ताओं ने बताया कि चूहों के साथ-साथ मानव टिश्यू में उसने संक्रमण को रोक दिया. ग्रुप B स्ट्रेप्टोकोकस एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो शिशु में कई बीमारी पैदा करता है. उसकी रोकथाम या इलाज एंटीबॉयोटिक्स से की जाती है. ग्रुप B स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया नवजात में ब्लड का संक्रमण और मेनिन्जाइटिस का आम कारण बनते हैं. एंटीबॉयोटिक्स के इलाज से जीबीएस संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है, लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक ये जीवाणु तेजी से प्रतिरोधी होता जा रहा है. सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अमेरिका में करीब 2 हजार नवजात को हर साल जीबीएस होता है. उन बच्चों में से 4-6 फीसद की मौत का कारण जीबीएस संक्रमण बनता है. बैक्टीरिया मां से नवजात में डिलीवरी और प्रसव के दौरान पहुंच जाता है.
ब्रेस्ट के दूध में शुगर रोक सकता है शिशुओं का संक्रमण
प्रसव के दौरान जीबीएस पॉजिटिव प्रेगनेन्ट महिला को आम तौर से एंटीबॉयटिक्स संक्रमण दूर करने में मददगार है जो जन्म के पहले सप्ताह में होता है. अमेरिका में वंदेरबिट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि ओलिगोसैकैराइड एक कार्बोहाइड्रेट है जो ब्रेस्ट के दूध में काफी मात्रा में मौजूद होता है. ओलिगोसैकैराइड मानव सेल्स के जीबीएस संक्रमण को रोक सकता है. नतीजों को अमेरिकन केमिकल सोसायटी की मीटिंग में पेश किया जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो शायद ब्रेस्ट के दूध में पाया जानेवाला शुगर एंटीबॉयोटिक्स की जगह ले ले. शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटीबॉयोटिक्स प्रतिरोध में बढ़ोतरी के कारण कम असरदार हो रहे हैं.
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