माना जाता है कि रचनात्मकता स्वाभाविक रूप से आती है और कुछ लोग जन्म के समय से ही इस मामले में भाग्यशाली होते हैं. लेकिन विज्ञान इस धारणा के साथ पूरी तरह सहमति नहीं जताता है. रचनात्मकता को निरंतर अभ्यास, आस-पास की चीजों को सीखकर और देखकर आसानी से हासिल किया जा सकता है. हो सकता है आपको ये जानकर आश्चर्य हो कि हम सभी रचनात्मक पैदा हुए हैं, लेकिन उम्र ढलने के साथ हमारी रचनात्मकता गुम हो जाती है. अब एक दूसरा तरीका है रचनात्मक शक्ति को हासिल करने का.


वॉकिंग और रचनात्मकता के बीच संबंध उजागर


रोजाना वॉकिंग या चहलकदमी का आसान तरीका आपको ज्यादा रचनात्मक बनाने में मदद कर सकता है. साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च के हवाले से दावा किया गया है. आप पार्क, छत या सिर्फ अपने ड्राइिंग-रूम में टहलते हों, शरीर को हिलाना कल्पना को प्रेरित करने में मदद कर सकता है. हमें पहले से ही मालूम है कि वॉकिंग हृदय संबंधी बीमारी को सुधारने, पुरानी बीमारियों का खतरा कम करने और आपके मूड को बढ़ाने के लिए अच्छा है. लेकिन अब एक अन्य वजह है कि क्यों आपको अपने रोजाना की रूटीन में से कुछ वक्त निकालना चाहिए और थोड़ी देर चहलकदमी करनी चाहिए. सबसे बेहतर है कि आप जितना सक्रिय रहेंगे, उतना ही ज्यादा रचनात्मक शक्ति की वापसी की उम्मीद कर सकते हैं.


रचनात्मक शक्ति को हासिल करने का जरिया


ऑस्ट्रिया के शोधकर्ताओं ने वॉकिंग और रचनात्मकता के बीच संबंध स्थापित किया है. उन्होंने पांच दिनों तक 80 स्वस्थ लोगों की फिटनेस गतिविधि का पता लगाने के बाद नतीजा निकाला. जांचने के लिए उन्होंने वॉलेंटियर को रचनात्मक कार्यों जैसे ड्राइंग और सवालनामे सौंपा. अंत में, उन्होंने सभी डेटा की तुलना कर निष्कर्ष निकाला कि जो लोग रोजाना की जिंदगी में शारीरिक रूप से सक्रिय रहे, सुस्त जीवनशैली के मुकाबले उनके अंदर नए और बेहतर विचारों का उदय आसानी से हुआ. इसके अलावा, सक्रिय लोग ज्यादा खुश भी पाए गए. ये ताजा रिसर्च है जो रचनात्मकता लेवल के साथ व्यायाम का संबंध जोड़ने में सक्षम हुआ.


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