न बंगला चाहिए, न महंगी कार और शानदार नौकरी... मिलेनियल्स में क्यों घट रही करियर में पीक पर पहुंचने की ख्वाहिश?
मिलेनियल्स के करियर की पीक पर पहुंचने की चाह घटते जा रही है. कई लोग अब जॉब छोड़कर छोटे कस्बे और शहर में आकर रहने लग गए हैं.
आजकल के युवा (मिलेनियल्स) वो पीढ़ी है जो करियर की ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए उतना जुनून नहीं दिखाती जितना पिछली पीढ़ी दिखाती थी. ना तो उन्हें आलीशान बंगले चाहिए, ना महंगी कारें और ना ही कोई ऐशो आराम. धीरे-धीरे वे करियर की भागदौड़ से दूर होते जा रहे हैं.
साल 2010 के मुकाबले घरों के दाम अब 33% तक बढ़ गए हैं. 1981 की तुलना में आज दुनिया सबसे महंगी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर युवा इस बात से डरे हुए हैं, कि महंगाई बढ़ने से उनके खर्च चला पाना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए उन्होंने मेहनत करना छोड़ दिया है और अब वे साधारण सी जिंदगी जीना चाहते हैं. मिलेनियल्स अब आलीशान बंगलों को छोड़ छोटे-मोटे कस्बे और मेट्रो शहर में आकर रहने लगे हैं. यही नहीं उन्होंने करियर की अंधी दौड़ से भी पैर पीछे कर लिया है, वे अपने स्वास्थ्य और परिवार के लिए नौकरियां छोड़कर आसान जिंदगी जी रहे हैं.
लोग छोड़ रहे नौकरी
सिटी एंड गिल्ड की 2022 में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर 10वां इंसान काम करने की क्षमता होने के बाद भी नौकरी नहीं ढूंढ रहा और ना ही करना चाहता है. अब वे 'नॉट टू वर्क' के फार्मूले पर जी रहे हैं. उन्हें लगता है कि अब वह उनके खर्च मुश्किल से ही चला पाएंगे. यहीं नहीं ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिसटिक्स की रिपोर्ट की मानें तो जो लोग 16 से 64 साल तक के हैं, उनमें 92 लाख लोग बेरोजगार हैं और फिलहाल ऐसे लोग नौकरी ढूंढना पसंद नहीं कर रहे हैं. इन्हीं में से कुछ लोग तेजी से नौकरी छोड़ते जा रहे हैं.
वर्कफोर्स में बढ़ी महिलाओं की संख्या
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के कई ऐसे देश हैं जहां पर महिलाओं की संख्या वर्कफोर्स में बढ़ती जा रही है. लेकिन मिलेनियल्स नौकरी छोड़ रही है. यह एक प्रकार का भेदभाव बताया जा रहा है और रोजगार में इसकी वजह भी महिलाओं से भेदभाव है. यह भेदभाव सबसे ज्यादा हिस्पैनिक और एशियाई महिलाओं के साथ बढ़ जाता है. बात करें अमेरिका की तो यहां महिलाओं को पुरुष के मुकाबले 16% तक कम वेतन मिलता है.