Child Care Tips : अगर आपका बच्चा जिस रूट से स्कूल जाता है, वहां ट्रैफिक (Traffic) ज्यादा होता है तो यह उसकी मेमोरी (Memory) के लिए ठीक नहीं है. एक रिसर्च में पाया गया है कि ज्यादा ट्रैफिक वाले रूट से स्कूल जाने वाले बच्चों की याददाश्त कम होती है और उनके दिमाग का विकास भी नहीं हो पाता. स्पेन (Spain) के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने बार्सिलोना के 38 स्कूलों के बच्चों पर एक रिसर्च किया. उनके इस शोध में पता चला कि ट्रैफिक में बजने वाला हॉर्न, गाड़ियों की आवाज और शोरगुल बच्चे की मेमोरी को कमजोर बनाता है.
क्या कहता है रिसर्च
बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने 7 से 10 साल के 2680 बच्चों पर शोध किया. जिसमें उन्होंने पाया कि अगर बाहरी शोर का लेवल 5 डेसिबल भी बढ़ता है तो इससे बच्चों की याददाश्त क्षमता 11.5% कम हो जाती है. इतना ही नहीं, यह शोर इतना खतरनाक होता है कि इससे काम करने की क्षमता का जो विकास होता है, उसमें भी 23.5% तक कमी आती है.
पढ़ाई पर फोकस घट जाता है
रिसर्च में पाया गया है कि ट्रैफिक रूट से जाने वाले बच्चों का दिमागी विकास ठीक से नहीं हो पाया. शोर की वजह से उनका मन पढ़ाई में भी नहीं लगता और उनकी याददाश्त भी कम हो जाती है. ऐसे बच्चों की पढ़ाई पर शोर-शराबा काफी असर डालता है. पढ़ाई से उनका फोकस 4.8% तक घट जाता है. इस शोध के लेखक जोर्डी सनयर के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) किशोरावस्था से पहले होने याददाश्त क्षमता का जो विकास होता है, उसे प्रभावित करता है. इसलिए बच्चों के भविष्य को देखते हुए, स्कूल को ट्रैफिक वाली जगहों से दूर बनाए जाने की आश्यकता है.
ओवरऑल परफॉर्मेंस पर असर डालता है शोर
इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि शोर की वजह से बच्चों के ओवरऑल परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है. ऐसे बच्चे न तो क्लास में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं और ना ही खेल के मैदान में. अगर क्लास में शोरगुल होता है तो यह बच्चों के ध्यान पर असर डालता है. वहीं यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट फॉर प्राइमरी केयर रिसर्च जोर्डी गोल के शोधकर्ताओं ने भी एक रिसर्च किया. जिसमें 9 से 12 साल के बच्चों को शामिल किया गया. इसमें पाया गया कि वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और ट्रैफिक वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चे बाकी बच्चों की तुलना में ज्यााद मोटे होते हैं.
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