शोध से पता चला है कि प्लास्टिक के बोतल में दूध बच्चों के लिए नुकसानदेह है. आयरलैंड के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक या पॉलीप्रोपलीन की बोतलों पर शोध करने के बाद खुलासा किया है. उन्होंने अपनी खोज को प्लास्टिक के अंश से जोखिम को समझने में 'मील का पत्थर' बताया है.
शोध से संबंधित जानकारी नेचर फूड नामी पत्रिका में प्रकाशित की गई थी. जिसमें बताया गया है कि बोतल से दूध पीने वाले बच्चे रोजाना प्लास्टिक के मिलियन सूक्ष्ण कणों को गटक रहे हैं क्योंकि ये बोतलें अत्यंत महीन प्लास्टिक के कण को निकालती हैं, जो बच्चे के शरीर में पहुंच जाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि फीडर को 25 सेंटीग्रेड के तापमान पर रखने से 6 लाख प्रति लीटर प्लास्टिक के कण, जबकि 95 सेंटीग्रेड पर 5 करोड़ 50 लाख प्रति लीटर प्लास्टिक के कण निकलते हैं.
प्लास्टिक बोतलों में दूध, बच्चों के लिए नुकसानदेह
शोधकर्ताओं ने बताया कि वास्तव में, हर इंसान शरीर में रोजाना अंजाने में अत्यंत महीन प्लास्टिक के कणों को पहुंचा रहा है. आयरलैंड में ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन के वैज्ञानिक जॉन बोलैंड का कहना है कि बच्चों की बोतलें पॉलीप्रोपलीन प्लास्टिक से बनी होती हैं और 69 फीसद बोतलों में इसी प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. अपनी टीम के साथ उन्होंने प्लास्टिक के कणों का पता लगाने के लिए परीक्षण किया. परीक्षण के बाद उन्होंने बताया कि अगर एक लीटर पाउडर वाले दूध को बोतल में हिलाया और मिलाया जाए तो 10-40 लाख बारीक कण भी दूध में शामिल हो जाते हैं.
मासूम गटक रहे प्लास्टिक के मिलियन सूक्ष्ण कण
वैज्ञानिकों ने नतीजा निकाला कि हर नवजात पहले 12 महीनों में रोजाना औसतन 10.60 लाख सूक्ष्म प्रोटेलिक प्लास्टिक निगलता है. उन्होंने कहा कि ऐसा दो कारणों से होता है. एक तो ये कि बोतल को कीटाणुरहित बना दिया जाता है और दूसरा कारण है गुनगुना दूध. ये दोनों मिलकर प्लास्टिक के सूक्ष्ण कणों को निकालने में मदद करते हैं. जॉन कहते हैं, "प्लास्टिक की बोतलें धीरे-धीरे घुलती हैं और उसमें कण भी खारिज होते रहते हैं. लेकिन अब पता चला है कि ये हमारी उम्मद से कहीं बढ़कर है. यहां तक कि बोतल को हिलाने से भी प्लास्टिक के लाखों कण खारिज होते हैं."
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