Emotional Child: हर बच्चा एक-दूसरे से अलग होता है. कुछ बच्चे बहुत बातूनी (Talkative) होते हैं तो कुछ बहुत ही शांत स्वभाव (Calm Nature) के होते हैं. किसी को उछल-कूद करना और घर में तूफान मचाए रखना पसंद होता है तो कुछ बच्चे बहुत शांति से बैठकर खिलौनों से खेलते हैं या कलर्स करना, स्कैच बनाना जैसी ऐक्टिवीट में व्यस्त रहना पसंद करते हैं. ज्यादातर बच्चे खुशमिजाज और हंसमुख (Happy nature kids) होते हैं. वहीं कुछ बच्चे बहुत इमोशनल (Emotional kids) और छोटी-छोटी बातों पर रोने वाले होते हैं. ऐसे बच्चों से डील करते समय (How to deal sensitive child?) माता-पिता को कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है. इस बारे में यहां बताया गया है...


बात-बात पर क्यों रोता है बच्चा? 


यदि आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में हर छोटी बात पर रोने लगता है तो आपको इस बात पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है (How to deal with very emotional child?). क्योंकि रोना बच्चों का एक तरह का कम्यूनिकेशन है, जिसके माध्यम से बच्चे अपने इमोशन व्यक्त करते हैं. जो बच्चा बहुत छोटी सी बात पर रोने लगता है या दूसरों के साथ रहने के वजाय अकेला रहना पसंद करता है, उस बच्चे को आपके इमोशनल सपॉर्ट की अधिक जरूरत होती है. यदि आज आप बच्चों की इस जररूत को समझते हुए इसे पूरा नहीं करेंगे तो बच्चों को आने वाले समय में बच्चों को सोशल लाइफ में बहुत सारी मेंटल और इमोशनल समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.


कैसे पूरा करें बच्चे की जरूरत?


जो बच्चा बात-बात पर रोता है, उसे आपके प्यार और देखभाल की अधिक जरूरत होती है. इसके साथ ही उसका मोरल बूस्ट करने और आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है. आप इस जरूरत को पूरा करने के लिए किसी चाइल्ड काउंसलर और चाइल्ड सायकाइट्रिस्ट की मदद ले सकते हैं. उनके द्वारा दी जाने वाली काउंसलिंग, एक्सर्साज और थेरपी के जरिए बच्चे को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने और उसका आत्मविश्वास बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता मिलेगी. साथ ही सोशल और एकेडमिक लाइफ में बच्चे की परफॉर्मेंस में भी सुधार होगा.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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