Christmas Cake History: हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस सेलिब्रेट किया जाता है. दुनियाभर में क्रिसमस (Christmas) का फेस्टिवल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग चर्च में प्रार्थना करते हैं और एक-दूसरे को केक खिलाते हैं. इस दिन केक काटने की परंपरा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह परंपरा कहां से आई, इसकी शुरुआत कब हुई और पहली बार कब केक (Christmas Cake) काटा गया था? इस क्रिसमस पर जानें दिलचस्प किस्सा..
क्रिसमस केक का इतिहास
शुरुआत में क्रिसमस पर केक काटने की कोई प्रथा नहीं थी. 16वीं सदी में क्रिसमस पर केक काटने का कॉन्सेप्ट आया. इससे पहले कभी भी क्रिसमस पर केक नहीं काटा गया था. तब ब्रेड और सब्जियां मिलाकर एक डिश बनाई जाती थी, जिसे प्लम पुडीज की प्रथा कहा जाता था. 16वीं शताब्दी में इसे पुडिंग से निकालकर उसमें गेहूं के आटे का यूज किया जाने लगा. इसमें अंडा, मक्खन और उबले फलों का प्लम मिलाया जाता था. कुछ लोगों ने इसी डिस को तंदूर में रखकर इसे पकाया. इसी तरह धीरे-धीरे इस पकवान ने केक का रूप लिया.
एक महीने पहले बनने लगता है केक
क्रिसमस पर बनने वाला केक एक महीने पहले ही बनने शुरु हो जाता है. क्योंकि क्रिसमस पर सबसे ज्यादा केक की डिमांड रहती है. लेकिन फ्रूट केक सबसे ज्यादा डिमांड में रहता है. इस केक में ड्र्राई फ्रूट की मात्रा अधिक होती है. प्लम केक भी लोग खरीदते हैं.
केक में डालते हैं किशमिश
क्रिसमस पर बनने वाले केक को फंगस से बचाए रखने के लिए किशमिश का यूज किया जाता है. लोग एक दो महीने पहले से ही किशमिश को धो लेते हैं और उसको सुखा लेते हैं. इस तरह फिर फ्रूट केक तैयार किया जाता है. जो बहुत टेस्टी होता है.
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