चंडीगढ़: राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के पक्ष में फैसला सुनाया है. आयोग ने ट्रांसप्लांट क्लीनिक की दलीलों को खारिज करते हुए ऑस्ट्रेलियाई नागरिक को सूद समेत रकम वापस करने को कहा है. आयोग के आदेश के मुताबिक पीड़ित को 14 लाख 65 हजार रुपए दिए जाएंगे.


बाल ट्रांसप्लांट केस में आयोग का अहम फैसला


ग्रांट डेविड अलेक्जेंर लेविस विज्ञापन में 100 फीसद गारंटी का दावा देखकर भारत अपने हेयर ट्रांसप्लांट कराने 2012 में आए. यहां उन्हें चंड़ीगढ़ के रीविवा क्लीनिक में इलाज के दौरान चार लाख रुपये खर्च करने पड़े. एक सप्ताह इलाज के बाद लेविस स्वदेश चले गए. वहां सात महीने तक बाल वृद्धि नहीं होने पर उन्होंने रीविवा क्लीनिक से संपर्क कर सारी बात बताई. क्लीनिक ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए फिर से बिना किसी फीस के बालों का ट्रांस्पलांट करने की पेशकश की. लेविस ने एक बार फिर 2014 में चंडीगढ़ में 10 दिनों तक इलाज करवाया. लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ. इससे गुस्साए ग्रांट डेविड अलेक्जेंर लेविस ने फोरम में शिकायत कर दी.


ऑस्ट्रिलायई नागरिक को सूद समेत रकम वापस लौटाने का आदेश


फोरम में रीविवा क्लीनिक ने माना कि शिकायतकर्ता ने लिखित में एनेस्थेसिया की इजाजत दी थी. क्लीनिक ने फोरम को बताया कि हेयर ट्रांसप्लांट के इलाज के बाद जरूरी नहीं कि बाल उग जाएं. जिसके बाद 2018 में फोरम ने क्लीनिक को लेविस के चार लाख रुपये देने और छह लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया. फोरम के फैसले के खिलाफ क्लीनिक ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील की. पीड़ित ने भी मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाया. दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद आयोग ने क्लीनिक को आदेश दिया कि पीड़ित ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के चार लाख रुपये वापस किए जाएं. साथ ही चार लाख 9 फीसद ब्याज के साथ, 10 लाख रुपये मुआवजा और कानूनी खर्च के 65 हजार रुपये भी क्लीनिक को देने को कहा.


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