सामान्य जुकाम को नहीं माना जा सकता कोरोना वायरस का संकेत- AIIMS
कोरोना वायरस के लक्षण पर भारतीय विशेषज्ञ का बड़ा बयान सामने आया है. अभी तक ब्रिटिश डॉक्टरों की टीम की राय कुछ अलग थी, लेकिन एम्स के विशेषज्ञ ने इस सिलसिले में बड़ी बात कही है. उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी की है.
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कुछ समय पहले तक ब्रिटिश डॉक्टरों के एक समूह का कहना था कि सामान्य जुकाम के लक्षणों को हल्के में नहीं लिया जा सकता, बल्कि कोरोना वायरस के संकेत के रूप में माना जाना चाहिए. लेकिन इससे अलग नजरिया सामने आया है. भोपाल और जम्मू एम्स के अध्यक्ष वाई के गुप्ता ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि खांसी, बुखार और सामान्य जुकाम को कोरोना वायरस के संकेत के तौर पर नहीं माना जा सकता.
खांसी, बुखार और जुकाम कोरोना वायरस के लक्षण नहीं
बताया जाता है कि 140 पूर्वी लंदन के डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों ने चीफ मेडिकल ऑफिसर क्रिस विट्टी और पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के नाम खुला खत लिखा था. हस्ताक्षर युक्त चिट्ठी में दावा किया गया था कि कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाए जाने से पहले मरीजों को आमतौर पर विशिष्ट सामान्य जुकाम के लक्षण जैसे गले की खराश, बहती नाक और सिर दर्द का अनुभव होता है.
भारतीय विशेषज्ञ का ब्रिटिश डॉक्टरों से अलग नजरिया
गुप्ता ने कहा कि सामान्य जुकाम कोरोना वायरस का 100 फीसद संकेत नहीं हो सकता है. सबसे आम जुकाम के वायरल संक्रमण ढलान पर हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि लोगों को सुरक्षा की चिंता करना छोड़ देना चाहिए. लोगों के लिए जरूरी है कि मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन करें. कोविड-19 के मामलों में गिरावट होने पर गुप्ता ने चेताया कि इसका ये मतलब नहीं है कि खतरा खत्म हो गया है.
पश्चिमी देशों में बढ़ते मामलों और भारत में निरंतर गिरावट के पहलू पर उन्होंने इशारा किया कि ऐसा अमेरिकियों के मुकाबले भारतीयों का वायरस के प्रति शायद ज्यादा इम्यूनिटी के कारण हो, लेकिन इस बात को साबित करने के लिए वैज्ञानिक डेटा मुहैया नहीं है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि कोवैक्सीन का डेटा पूरी तरह उपलब्ध नहीं है और हो सकता है तीसरे चरण के मानव परीक्षण का डेटा मार्च के अंत तक उपलब्ध हो सके, जिससे उसका असरदार होना साबित होगा.
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