कोरोना महामारी में ऐसे करें अपने घर की मॉनिटरिंग, कोविड-19 से मौत का खतरा हो सकता हैं कम
श्वसन दर और ब्लड ऑक्सीजन सेचुरेशन की घर पर सिर्फ मॉनिटरिंग कोविड-19 से जुड़ी बड़ी समस्या को कम कर सकती है. एक रिसर्च में पाया गया है कि मात्र इन दो संकेत की पहचान कोविड-19 के कारण मौत के खतरे को कम कर सकती है.
भारत में कोविड-19 के कारण मौत का आंकड़ा तीन लाख पार कर चुका है. इस तरह, भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मौत वाला तीसरा देश बन गया है. लेकिन एक नई रिसर्च के मुताबिक, कोविड-19 के कारण मौत से जुड़े आंकड़ों को मात्र दो संकेतों की पहचान कर कम किया जा सकता है.
दो लक्षण कोविड-19 से जुड़ी मौत के आंकड़ों में ला सकते हैं कमी
'छाती का दर्द' और 'सांस की तकलीफ' कोविड-19 से जुड़ी मौत के खतरे को कम कर सकती है. एंफ्लुएंजा एंड अदर रिस्पेरटरी वायरस पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में बताया गया है कि घर पर श्वसन दर और ब्लड ऑक्सीजन सेचुरेशन की मॉनिटरिंग कोविड-19 से मृत्यु दर के खतरे को कम कर सकती है. अमेरिकी संस्था सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों को 'लगातार दर्द या छाती में दबाव' और 'सांस की तकलीफ' जैसे लक्षणों का अनुभव करने पर मेडिकल सहायता तलाश करनी चाहिए.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि ये संकेत अनुपस्थित हो सकते हैं यहां तक कि सांस और ब्लड ऑक्सीजन खतरनाक लेवल तक पहुंच जाए. कोविड-19 पीड़ितों को उस वक्त अस्पताल जाना बहुत खराब लगता है. स्कूल ऑफ मेडिसीन में कार्डियालॉजिस्ट नोना सोतूडेहनिया ने बयान में कहा, "कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में परेशानी नहीं होती है. उनका बिल्कुल कम ऑक्सीजन सेचुरेशन हो सकता है और फिर भी एसिम्पटोमैटिक हो सकते हैं."
छाती में दबाव और सांस की परेशानी को न करें नजरअंदाज
शोधकर्ताओं ने 18 साल और उससे ऊपर के 1,095 कोविड-19 मामलों को जांचा. ये सभी लोग शिकागो के यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर या सिएटल के यूडब्ल्यू मेडिसीन अस्पतालों में 1 मार्च और 8 जून के बीच अस्पताल में भर्ती हुए थे. हाइपोक्सिमिया के मरीजों को (91 के नीचे की रीडिंग में ऑक्सीजन का स्तर) मृत्यु का जोखिम सामान्य ब्लड ऑक्सीजन लेवल के साथ भर्ती लोगों के मुकाबले 1.8 से लेकर 4.0 गुना ज्यादा था. उसी तरह, सामान्य श्वसन दर के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों के मुकाबले, तचीपनिया (प्रति मिनट 23 सांस) वाले मरीजों को मौत का 1.9 से 3.2 गुना खतरा अधिक था. करीब सभी हाइपोक्सिमिया और तचीपनिया वाले मरीजों को अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी.
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