Health Tips: कोरोना वायरस को फैले हुए एक साल से ज्यादा हो गया है. इस बीच महामारी के बारे में लगातार चर्चा सोशल मीडिया पर, परिवार और दोस्तों के बीच पूरी दुनिया में जारी है. बहुत ज्यादा चर्चा से लोगों को बेचैनी और भविष्य के बारे में निराशा का एहसास होने लगा है. ये निराशा नियमित जिंदगी में रच बस गई है, जिससे रात में लोगों का सोना और काम करना मुश्किल हो गया है.
खौफ का असर हमारे दिमाग पर अभी भी बरकरार है. कोविड-19 न सिर्फ हमारी जिंदगी में भूचाल लाई है, बल्कि दिमागी सेहत और लोगों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है. डर चाहे वायरस के संक्रमण का हो या उससे जुड़े लक्षणों से निपटने का, चिंता और तनाव की कोई सीमा नहीं है. महामारी से हमारी नींद के चक्र पर असर पड़ा है. ये स्थिति कोरोना सोमनिया कहलाती है.
कोरोना सोमनिया का नींद पर प्रभाव
कोरोना सोमनिया शब्द अनिद्रा के मुद्दों और कोरोना वायरस के कारण नींद की समस्याओं को बताता है. महामारी ने हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा तनाव और चिंता उजागर किया है. जर्नल ऑफ क्लीनिकल स्लीप मेडिसीन में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक करीब 40 फीसद लोगों ने महामारी के नतीजे में सोने की समस्या को रिपोर्ट किया.
कोरोना सोमनिया की वजह क्या है?
लोगों में 'कोरोना सोमनिया' होने के कई कारण हैं. लेकिन ज्यादातर कारण कोविड-19 संक्रमण से निपटने में महसूस होनेवाली असुरक्षा और डर से जुड़े हैं. परिजनों और परिवार को सुरक्षित करने की बहुत ज्यादा चिंता से दबाव पड़ता है. उसके अलावा, सोशल डिस्टेंसिंग की स्थिति, आइसोलेशन और खौफ सभी मिलकर तनाव में योगदान करते हैं जो नींद से जुड़ी समस्या होती है.
महामारी से जीवनशैली में तब्दीली
कोविड-19 महामारी ने हमारे जीने के तरीके में गहरा बदलाव लाया है. उसने हमारे रोजाना के शेड्यूल, खानपान की आदतें, काम के वातावरण में बाधा पैदा कर दिया है और हमारी दिमागी स्थिरता पर भारी पड़ा है. सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटीन आज की दुनिया का मानक बन गए हैं. हाल के दिनों में खुद को कम हुई सावधान रखने की क्षमता ने अनिद्रा और नींद की कमी में योगदान दिया है. वैज्ञानिक रिपोर्ट बताते हैं कि तनाव खास हार्मोन जैसे एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल के उत्पादन की वजह बन सकते हैं जो ये नींद और आराम को ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं.
कोरोना सोमनिया से कैसे निपटें?
विशेषज्ञों की सलाह है कि चिंता और तनाव को मेडिटेशन और योग की मदद से निपटा जा सकता है. चुनौतीपूर्ण समय में जरूरी है कि हम अपने दिमागी स्वास्थ्य पर फोकस करें और तनाव को हल्का करने की कोशिश करें जो भविष्य में ज्यादा गंभीर समस्या की वजह बन सकते हैं. नियमित रूटीन का पालन और स्वस्थ जीवनशैली की तरफ मुड़ने से तनाव के लेवल को नियंत्रित और कम करने में मदद मिल सकती है.
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