वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के एसिम्पटोमैटिक (बिना लक्षण) वाले मरीज खामोशी से वायरस का प्रसार करते हैं और उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं होती. ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाए गए 80 फीसद मरीजों में कोई लक्षणर नहीं देखा गया.


बिना लक्षण वाले मरीज खामोशी से फैला रहे संक्रमण-शोध


उन्होंने चिंता जताई कि अगर खामोशी से ट्रांसमिशन बढ़ता रहा तो भविष्य में कोरोना के फैलाव को रोका नहीं जा सकता. लंदन कॉलेज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने शोध के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के कोविड-19 सर्वे के डेटा का इस्तेमाल किया. शोध के हवाले से उन्होंने दावा किया कि अप्रैल-जून के बीच 86.1 फीसद कोरोना से संक्रमित मरीजों में खांसी, बुखार, स्वाद और गंध के क्षरण जैसे लक्षण सामने नहीं आए.


महामारी विज्ञान और स्वास्थ्य सूचना के प्रोफेसर एरिन पीटरसन ने कहा, "अभी हमारा ध्यान कोरोना के लक्षण वाले मरीजों पर है. लेकिन अगर आप एसिम्पटोमैटिक या प्री- न एसिम्पटोमैटिक लोगों को नहीं पकड़ रहे हैं तो प्रकोप को बेकाबू होने से पहले वक्त पर नीचे लाना मुश्किल हो सकता है." उनका मानना है कि अनजाने में संक्रमित लोग खामोशी से कोरोना प्रसार का खतरा बन सकते हैं.


कोरोना वायरस के 'साइलेंट स्प्रेडर' से किया गया सावधान


शोध में पाया गया कि कोरोना वायरस के तीन प्रमुख लक्षणों में सिर्फ 13.9 फीसद मरीजों में लक्षण पाए गए. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने 'संक्रमण सर्वे' के तौर पर कोरोना वायरस जांच के डेटा को महामारी के दौरान नागरिकों से इकट्ठा किया था. उसका मकसद ये पता लगाना था कि कोरोना के लक्षण और बिना लक्षण वाले कितने मरीज हैं.


शोधकर्ताओं ने चेताया कि कोरोना वायरस के 'खामोश वाहक' पहले की तुलना में ज्यादा आम हो सकते हैं. गुरुवार को शोध को क्लीनिकल एपिडिमियोलोजी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. शोधकर्ताओं की सलाह है कि कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन को कम करने के लिए जरूरी है कि संक्रमण फैलानेवालों की पहचान की जाए.


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