Coronavirus: कोविड-19 की बीमारी कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य मुद्दों के साथ जुड़ी हुई है. उसमें अंग के नुकसान से लेकर लंबे और पुराने रोग शामिल हैं. विशेषज्ञ और वैज्ञानिक खतरनाक वायरस के हर पहलू की जांच कर रहे हैं. इस बीच, शोधकर्ताओं की एक टीम कोविड-19 और अल्जाइमर के बीच संबंध स्थापित करने में जुटी है. अल्जाइमर की बीमारी दिमाग संबंधी खराबी है जो ब्रेन सेल्स मरने की वजह बनती है और जिसके नतीजे में याद्दाश्त की हानि होती है.
वक्त बीतने के साथ ये किसी शख्स के सोचने की क्षमता को बर्बाद करती है, जिसकी वजह से उसका सामान्य कामकाज करना मुश्किल हो जाता है. कोविड-19 में दिमाग को शिथिल करने की क्षमता है. हो सकता है ये दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल समस्याओं जैसे लोगों में अल्जाइमर की संभावना को भी बढ़ा दे.
दिमाग पर कोविड-19 का प्रभाव और जुड़े लक्षण
कोविड-19 के नतीजे में, हल्के से गंभीर सूजन पीड़ितों को दिमाग में दौरा और स्ट्रोक हो सकता है. संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों ने भी मानसिक भ्रम की स्थिति, सिर दर्द, चक्कर, धुंधली दृष्टि की शिकायत ठीक होने के दौरान और बाद में की है. इस तरह, कोविड-19 मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के प्रसार जैसे सिर दर्द और भ्रम की स्थिति से कोरोना वायरस और अल्जाइमर के बीच संबंध का पता चल सकता है.
अल्जाइमर और कोविड-19 के बीच संबंध
अल्जाइमर एंड डिमेन्शिया में एक समीक्षा प्रकाशित की गई है. उसमें कोविड-19 और अल्जाइमर रोग के संभावित संबंध को जोड़ने की कोशिश की गई है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, बीमारी के साथ लोगों में लक्षणों की शुरुआत 60 साल की उम्र के आसपास जाहिर होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादातर लोग कोवड-19 के प्रभाव से बचे रहेंगे. हालांकिन, लंबे समय में उन्हें कई बीमारियों जैसे डिमेन्शिया, जीवन की खराब गुणवत्ता और विकलांगता से निबटना पड़ सकता है.
रिसर्च से क्या पता चलता है?
दिमाग पर कोविड-19 के लंबे और अल्पकालिक प्रभाव को समझने के लिए 30 देशों के प्रतिनिधि, अल्जाइमर एसोसिएशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन संबंध की जांच करने के लिए एक मंच पर आए हैं. जबकि कोरोना वायरस में दिमाग से जुड़ी कई खराबी उभारने की प्रवृत्ति है, दिमाग में गंभीर सूजन की वजह बनने की भी क्षमता है.
प्रयागराज में आज से माघ मेले की शुरुआत, कोरोना संक्रमित नहीं होने की रिपोर्ट के साथ ही मिलेगी एंट्री