Coronavirus: विटामिन सी और जिंक का इस्तेमाल क्या लक्षणों पर डालता है असर? जानिए रिसर्च के नतीजे
क्या विटामिन सी और जिंक का इस्तेमाल कोरोन वायरस के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है? रिसर्च में नया खुलासा किया गया है जो आपको चौंका सकता है. जानिए अब तक की जानकारी का उस पर कितना असर पड़ेगा.
Coronavirus: क्या विटामिन सी और जिंक कोविड-19 की बीमारी से लड़ने में मदद कर सकता है? दोनों सप्लीमेंट्स के असर का पता लगाने के लिए पहले बेतरतीब मानव परीक्षण से पता चला कि नहीं, यहां तक कि हाई डोज से भी नहीं. नए रिसर्च में कहा गया है कि सर्दी और फ्लू की गंभीरता को कम करने या मुकाबले के लिए जिंक और विटामिन सी का लोकप्रिय इस्तेमाल के बावजूद कोरोना वायरस के लक्षणों का इलाज करने में सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल फायदेमंद साबित नहीं हुआ है.
शुक्रवार को जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित नए रिसर्च में दावा किया गया है. कोविड-19 संक्रमण के 214 मरीजों पर मानव परीक्षण के नतीजों से खुलासा हुआ है. ओहियो और फ्लोरिडा में बाह्य रोगी देखरेख केंद्रों पर कोविड-19 के बाह्रय रोगी मरीजों को या तो एक सप्लीमेंट या दोनों सप्लीमेंट्स दिया गया. पता चला कि इस दौरान लक्षणों की अवधि में स्पष्ट अंतर नहीं दिखा. शोधकर्ताओं का कहना है कि एक या दोनों सप्लीमेंट्स लेनेवाले मरीजों के लक्षण में कमी का समय उनके बराबर समान था जिनको मानक इलाज मिला.
जिंक और विटामिन सी से कोरोना वायरस का इलाज नहीं
बाजार में उपलब्ध जिंक और विटामिन सी का इस्तेमाल मरीज वायरल बीमारियों के इलाज की खातिर करते हैं. कोरोना वायरस महामारी के समय दोनों सप्लीमेंट्स की मांग में काफी बढ़ोतरी देखी गई. लोगों का मानना है कि उनकी मदद से इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिल सकता है. ये देखने के लिए कि जिंक और विटामिन सी कैसे कोविड-19 को प्रभावित कर सकता है, शोधकर्ताओं ने बेतरतीब ढंग से जिंक का 10 दिन (रोजाना 50 मिलिग्राम), विटामिन सी (8 हजार मिलिग्राम रोजाना) चार ग्रुप के लिए निर्धारित किया.
रिसर्च में पाया गया दोनों सप्लीमेंट्स मरीजों पर गैर प्रभावी
बाह्रय रोगी जानते थे कि उन्हें कौन सा इलाज मिल रहा है. मरीजों की औसत उम्र 45 साल थी और घर पर थे. उन्होंने वर्चुअल सर्वे में अपने लक्षण, प्रतिकूल प्रभाव, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत और अन्य दवाइयों के बारे में जवाब दिया. शोधकर्ताओं ने बताया कि अस्पताल में मरीजों के भर्ती होने की जरूरत पर इलाज की विफलता माना गया.
डेटा से पता चला कि ज्यादातर मरीजों को हल्के लक्षणों का सामना हुआ, बहुत कम मरीज गंभीर मामलों से पीड़ित पाए गए. शोधकर्ता मिलिंद देसाई ने यूपीआई से कहा, "जिंक के हाई डोज या विटामिन सी या संयुक्त रूप से दोनों के इस्तेमाल से कोरोना वायरस से प्रभावित बाहरी मरीजों की बीमारी की अवधि कम नहीं हुई."
शोधकर्ताओं का कहना है कि नतीजे से पता चलता है कि जिंक, विटामिन सी या दोनों सप्लीमेंट्स से इलाज कोविड-19 के लक्षणों को प्रभावित नहीं करता है. वैज्ञानिकों ने मानव परीक्षण को जल्दी खत्म कर दिया क्योंकि सप्लीमेंट्स का कोई प्रभाव नहीं हुआ. रिसर्च के लेखकों ने कोविड-19 के कारण तीन मौत समेत चार गंभीर प्रतिकूल प्रभाव की बात बताई. विटामिन सी हासिल करनेवाले ज्यादा मरीजों को साइड-इफेक्ट्स जैसे मतली, दस्त और ऐंठन की शिकायत हुई. शोधकर्ताओं ने कहा कि जुकाम के लिए मुफीद इलाज के तौर पर विटामिन सी और जिंक का 'असंगत' सबूत है.
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