क्या बिल्लियों की बीमारी से लड़नेवाली दवा कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल की जा सकती है? वैज्ञानिकों का कहना है कि बिल्लियों की दवा कोरोना वायरस से लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकती है. उन्होंने इसका मानव परीक्षण करने की वकालत की.


बिल्लियों की दवा से होगा कोविड-19 का इलाज?


फेलाइन संक्रामक पेरिटोनिटिस (FIP) बिल्लियों में होनेवाली एक बीमारी है. ये आंत में शुरू होकर दिमाग तक पहुंच जाती है. बिल्लियों के लिए ये बीमारी कभी-कभी घातक भी होती है. बिल्लियों को होनेवाली संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए GC376 दवा इस्तेमाल की जाती है. कनाडा में अलबर्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लैब में दवा का परीक्षण किया. उन्होंने पाया कि दवा के इस्तेमाल से कोविड-19 वायरस को खत्म किया जा सका. बिल्ली की दवा फेलाइन कोरोना वायरस (FCoV) से पैदा होनेवाले एंजाइम को रोक पाने में सफल साबित हुई. इस तरह वायरस को दोबारा पैदा होने से उसने रोक लिया.


लैब परीक्षण में सफलता के बाद उन्होंने दवा का इंसानों पर परीक्षण करने की जरूरत बताई. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये दवा कोरोना वायरस के खिलाफ एंटी वायरल का काम कर सकती है. उन्होंने बताया कि फेलाइन संक्रामक पेरिटोनिटिस बीमारी बिल्लियों की आंत को प्रभावित करती है. उसके बाद शरीर के कई अंगों पर धावा बोलकर उसे निष्क्रिय कर देती है. संक्रमण कभी-कभी बिल्लियों के लिए जानलेवा भी हो सकता है. हालांकि बिल्लियों को बीमार करनेवाला वायरस FCoV मामूली है. इसकी चपेट में आने पर 5-10 फीसद बिल्लियों के बीमार पड़ने का खतरा रहता है.


शोधकर्ताओं ने बताया इंसानों पर परीक्षण की जरूरत


कोरोना वायरस के खिलाफ फेलाइन दवा का असर देखकर एक फार्मा कंपनी Anivive ने अमेरिका की नियामक संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से कोविड-19 के इलाज के लिए प्रयोग की इजाजत मांगी है. आपको बता दें कि FCoV एक कोरोना वायरस है. इसका ढांचा भी महामारी का कारण बननेवाला वायरस SARS-CoV-2 की तरह है. शोधकर्ताओं ने बताया GC376 का पहला संस्करण GC373 भी प्रभावकारी साबित हुई. शोधकर्ता टीम के अगुवा प्रोफेसर जीन लेमेक्स ने बताया, "GC373 और GC376 में SARS-CoV-2 के नकल रोकने की क्षमता है. इंसानों को कोरोना वायरस से होनेवाले संक्रमण के इलाज के लिए दोनों दवा मजबूत दावेदार हैं. दोनों दवा जानवरों पर कामयाब साबित हुए हैं."


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