Coronavirus: प्रायोगिक दवा मात्र दो घंटों के अंदर लक्षणों को कर सकती है कम, रिसर्च में बड़ा दावा
कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्रायोगिक दवा से मात्र दो घंटे में लक्षण दूर करने का दावा किया गया है. दूसरे चरण में सफल होने के बाद प्रायोगिक दवा अब तीसरे चरण के मानव परीक्षण तक पहुंचने वाली है. इजराइली वैज्ञानिकों ने एलोसेटरा दवा के नतीजे को हौसला मंद बताया है.
कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों पर मात्र दो घंटे में लक्षणों को रोक सकने वाली एक प्रायोगिक दवा मानव परीक्षण के तीसरे चरण तक पहुंचने वाली है. इजराइली वैज्ञानिकों ने एलोसेटरा दवा के नतीजे पर बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि 21 में से 19 मरीजों को छह दिनों में परीक्षण के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और कोई मौत नहीं हुई.
प्रायोगिक कोविड-19 की दवा का क्या हुआ असर?
न्यूयॉर्क में हेल्थकेयर कंपनी फेयर हेल्थ के मुताबिक सितंबर में डिस्चार्ज किए जाने से पहले अमेरिका में कोविड के मरीजों ने 4.6 दिन बिताए. प्रायोगिक दवा लेने वाले एक 49 वर्षीय वॉलेंटियर ने दावा किया कि इलाज के चंद घंटे बाद उसे 'कुछ अजीब' महसूस हुआ. उसका कहना था कि उसकी खांसी रुक गई और सांस लेना आसान हो गया.
इजराइली मीडिया के मुताबिक, दो दिन बाद डिस्चार्ज होने वाले याएर तैयब ने कहा, "मैं यकीन नहीं कर सकता." वैज्ञानिकों ने 11 फरवरी को कहा कि परीक्षण के नतीजे उत्साहजनक थे लेकिन चेतावनी दी कि दवा के असरदार होने को साबित नहीं कर सकते क्योंकि ये मानक रिसर्च नहीं था. इजराइल में किए गए दूसरे चरण के कामयाब मानव परीक्षण में शामिल 11 कोविड-19 के मरीज गंभीर लक्षणों से पीड़ित थे.
गंभीर मरीजों के लक्षणों को दो घंटे में रोकने का दावा
इसके अलावा, 10 मरीज कोविड-19 के नाजुक लक्षणों से जूझ रहे थे. पाया गया कि जिन मरीजों को गंभीर चेतावनी के संकेत थे, उनको दवा दिए जाने के चार दिनों बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. लेकिन नाजुक संकेत वाले मरीज 8 दिनों बाद डिस्चार्ज होने में सक्षम हो सके. स्वतंत्र वैज्ञानिकों ने टिप्पणी कि कि ये स्पष्ट नहीं है कि गंभीर और नाजुक मामलों के बीच अंतर क्या था. जिससे आकलन करना मुश्किल है कि कितना अच्छा इलाज हुआ.
उन्होंने आगे बताया कि मानव परीक्षण छोटे सैंपल पर किया गया था और प्लेसेबो वाले ग्रुप शामिल नहीं थे. जिससे पता चले कि क्या दवा वास्तव में प्रभावी साबित हुई. यहां तक कि कोविड-19 के कारण जिन मरीजों के अंग की क्षति हुई थी, उनको शामिल नहीं किया गया. परीक्षण के दौरान मरीजों को दवा देकर मॉनिटरिंग की गई कि उसका प्रभाव क्या होता है. दवा का विकास इजराइल की कंपनी कर रही है.
उसका दावा है कि इम्यून सिस्टम को राहत पहुंचाने वाले इलाज में कंपनी अग्रणी है. परीक्षण में शामिल मरीज तैयब ने कहा कि दवा लेने से पहले उसे बोलने और सांस लेने में दिक्कत पेश आ रही थी. उसने इजराइल के चैनल 13 को बताया, "उन्होंने मुझे दवा दी. अचानक दो घंटे बाद मुझे अपने शरीर में कुछ अजीब महसूस होने लगा. मेरी खांसी रुक गई, मेरी सांस वापस आने लगी, मैं बेहतर महसूस कर रहा था. मुझे पसीना आना बंद हो गया. मैं इसका विश्वास नहीं कर सकता."
अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाते वक्त उसने कहा, "दो दिन पहले तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था. अब मुझे देखो, मैं घर जा रहा हूं." मुख्य जांचकर्ता प्रोफेसर वेरनन हीरदेन ने कहा कहा कि नतीजे 'हौसला बढ़ानेवाले' हैं. उन्होंने बताया कि दूसरे चरण के मानव परीक्षण से डिस्चार्ज किए जा चुके मरीज वर्तमान में स्वस्थ हैं. टीम इजराइल में तीसरे चरण के मानव परीक्षण करने की तैयारी कर रही है. उसमें मरीजों की बड़ी संख्या पर दवा का परीक्षण किया जाएगा.
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