कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में रोजाना बढ़ोतरी प्रमुख चिंता की वजह बन गई है. मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पताल और मेडिकल सुवधाओं में संसाधन की कमी होने लगी है. अस्पतालों को कोविड-19 के गंभीर मरीजों को बेड उपलब्ध कराने तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. ऐसे समय में सबसे ज्यादा तलाश की जानेवाली एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर की भारी मांग हो रही है. कहा जाता है कि दवा कोविड-19 के गंभीर लक्षणों से पीड़ित मरीजों की राहत और इलाज में काम आती है, लेकिन भारतीय अधिकारियों का दावा है कि रेमडेसिविर जीवन बचानेवाली दवा नहीं है और उसका गैर जरूरी इस्तेमाल अनैतिक है.


भारत में रेमडेसिविर की अचानक क्यों बढ़ी मांग?


डबल म्यूटेंट वेरिएन्ट और लापरवाही से प्रेरित कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने देश के स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोल दी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर-जनरल डॉक्टर बलराम भार्गव के मुताबिक, महामारी की दूसरी लहर में उम्र दराज आबादी को ज्यादा खतरा है, मगर वायरस से पॉजिटिव पाए जानेवाली युवा आबादी की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. उसके अलावा, युवा आबादी को वैक्सीन की अनुपलब्धता भी एक प्रमुख कारक हो सकता है कि क्यों युवा और स्वस्थ लोग अस्पताल में पहुंच रहे हैं. ऐसे संकट के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर, कोविड-19 प्लाज्मा और एंटी वायरल दवा जैसे रेमडिसिवर की मांग काफी हो गई है.


पेशेवरों ने कहा रामबाण नहीं है एंटी वायरल दवा


अमेरिकी कंपनी गिलियड की बनाई हुई रेमडिसिवर एक पेटेंट एंटी वायरल दवा है, शुरुआत में हेपेटाइटिस और जुकाम का जिम्मेदार रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस के इलाज के लिए विकसित  किया गया था. वायरस के खिलाफ उसके शुरुआती रिस्पॉन्स के कारण अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा को कोविड-19 का इलाज करने में मंजूरी दे दी. भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोविड-19 नियंत्रण प्रोटोकॉल दस्वतावेज में अनुसंधानात्मक थेरेपी के तौर पर उसकी सिफारिश की है, लेकिन स्पष्ट किया है कि ये 'जीवन बचानेवाली दवा' नहीं है.


एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को कहा, "रेमडेसिविर रामबाण नहीं है और ऐसी दवा नहीं है जो मृत्यु दर घटाती हो." उन्होंने आगे बताया, "हम रेमडेसिविर का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास एक एंटी वायरल दवा नहीं है. रेमडेसिविर उन लोगों को मुफीद साबित हुई जो अस्पताल में और ऑक्सीजन पर थे....मगर उसे नियमित एंटी बायोटिक के जैसा नहीं लिया जा सकता." उन्होंने जोर दिया कि एंटी वायरल दवा सिर्फ उन लोगों को जरूर दी जानी चाहिए जो अस्पताल में भर्ती हैं, ऑक्सीजन लेवल कम हो गया है.


कोविड-19 मरीजों पर रेमडेसिविर के प्रभाव के बारे में कई बहस और चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि, कुछ रिसर्च से सुझाव मिलता है कि दवा का खतरनाक वायरस के खिलाफ प्रभाव नहीं है, कुछ अन्य रिसर्च में दावा किया गया है कि ये कोविड-19 मरीजों में ठीक होने की अवधि को छोटा करती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक मानव परीक्षण में भी पाया गया था कि रेमडेसिविर कोविड-19 से जुड़ी मौत को रोक नहीं सकती.


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