कोरोना वायरस से पैदा होनेवाली बीमारी कोविड-19 बिल्कुल अलग तरह की है. कुछ मरीजों के लिए कोरोना वायरस का साफ हो जाना सिर्फ आधी लड़ाई जीतना होता है जबकि कुछ लोगों को बीमारी से ठीक होने के बाद पड़नेवाले प्रभाव से जूझना पड़ता है. बीमारी का असर शरीर के आवश्यक अंगों खासकर फेफड़ों पर देखा जाता है.
कोविड-19 के बाद आम तौर से सांस लेने में परेशानी का अनुभव करना पड़ सकता है. यहां तक कि ठीक होने के बाद युवा और स्वस्थ मरीज भी फेफड़ों की कार्य क्षमता में गिरावट की शिकायत करते सुने गए. कुछ लोगों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सपोर्ट मशीन की भी जरूर पड़ सकती है.
सांस संबंधी समस्या और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी से भी कई समस्याएं होने का खतरा रहता है. पर्यावरणीय कारण जैसे खराब वायु प्रदूषण का लेवल भी मामले को ज्यादा खराब बना रहा है. इसलिए जरूरी है कि सामान्य जिंदगी की दोबारा शुरुआत के बाद फेफड़ों की देखभाल उच्च प्राथमिकता में होनी चाहिए.
नियमित सांस लेने का व्यायाम करें
सांस फूलना और ऑक्सीजन का बाधित प्रवाह कोविड-19 की गंभीरता का एक आम लक्षण है क्योंकि बीमारी फेफड़ों पर हमला करना शुरू कर देती है. कोविड-19 मरीजों को अक्सर डीप ब्रेथिंग व्यायाम और ध्यान मुद्रा की सलाह दी जाती है. डीप ब्रेथिंग फेफड़ों को बलशाली बनाने का एक तरीका है. इस पर अमल करने के बाद फेफड़े अधिक लचीले बनते हैं और आपके भीतर वायु ज्यादा प्रवेश करती है. इसके लिए आपको लंबा गहरा सांस लेना-छोड़ना होता है.
डीप ब्रेथिंग व्यायाम सांस लेने को बेहतर और फेफड़ों, छाती मार्ग तक रक्त प्रवाह को ठीक कर सकता है. पेट के बल लेटकर गहरी सांस लेने से भी ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ने में मदद मिल सकती है. फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाने में प्राणायाम भी हैरतअंगेज व्यायाम माना गया है.
फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मददगार फूड खाएं
अच्छा विटामिन और मिनरल से भरपूर डाइट इम्यूनिटी को बढ़ाता है और कुछ खास फूड हैं जिससे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और आपके सांस लेने को ज्यादा आसान बनाते हैं. घर पर बेहतर फेफड़ों के स्वास्थ्य को सुधारने और नियंत्रित करने का ये एक आसान उपाय हो सकता है. ध्यान इस बात पर रहे कि अत्यधिक प्रोसेस्ड और रिफाइंड फूड के सेवन से बचा जाए.
मसाले में हल्दी और लहसुन शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर फूड हैं और उनकी पहचान एंटी वायरल गुणों के तौर पर होती है. प्रचुर ओमेगा-3 वाले फूड का ज्यादा सेवन किया जाना चाहिए. ये फेफड़ों के सूजन को काबू करने में खास तौर से मददगार होते हैं और दूसरी सांस संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करते हैं.
धूम्रपान से बचें
धूम्रपान से ना सिर्फ आपको कोविड-19 संक्रमण और ट्रांसमिशन का ज्यादा खतरा होता है बल्कि ये आपके फेफड़ों के लिए भी सबसे बुरा होता है. धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से आपके नब्ज पर ज्यादा दबाव पड़ता है. इससे बाद में संक्रमण बढ़ने का भी जोखिम होता है.
धुआं और प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें
ऐसे लोग जो अभी-अभी कोविड-19 से ठीक हुए हैं, या उन्होंने फेफड़ों की कार्य क्षमता से समझौता किया है उनको चाहिए कि अनावश्यक धुआं, प्रदूषित वातावरण और फेफड़ों में रुकावट डालने वाली गतिविधि से बचें. प्रदूषण आपके दोबारा संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है. बाहर निकलते वक्त जरूरी सुरक्षात्मक किए जाने चाहिए. भाप लेना और डिटॉक्स की आदतें भी फायदेमंद साबित हो सकती हैं.
फ्लू का डोज लेने पर विचार करें
ठीक होने के बाद कोविड-19 के खतरे की रोकथाम के लिए फ्लू का डोज लेना एक उपाय हो सकता है. इससे पुरानी सांस की तकलीफ भी कम होती है. कई मामलों में फ्लू का डोज रिकवरी को तेज कर सकता है, ज्यादा जोखिम वाले ग्रुप में सांस की पेचीदगी को कम कर सकता है और अतिरिक्त बीमारियों से बचा सकता है.
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