पिछले दो महीने हम सभी के लिए किसी कयामत से कम नहीं रहे. हालांकि, कोविड-19 के मामले कम हो रहे हैं, लेकिन मौत की बढ़ती संख्या चिंता का मुद्दा है. हाल के एक रिसर्च के मुताबिक, हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे लोगों को कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए जाने का 30 फीसद ज्यादा खतरा है. कोविड-19 कैसे ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती है और उसकी रोकथाम के लिए क्या किया जा सकता है, विशेषज्ञों के हवाले से जानना चाहिए. 


मैक्स अस्पताल, नई दिल्ली में डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर सुजीत झा कहते हैं, "भारत में करीब 10-13 फीसद लोग डायबिटीज का शिकार हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण, हमारा बाहर निकलना बंद हो गया है और घर में रहने को विवश हैं. इन सभी ने शारीरिक गतिविधि को कम कर दिया है, जिससे हमारे स्वास्थ्य और ब्लड शुगर लेवल व्यापक रूप से प्रभावित हुए हैं. शरीर में किसी तरह के तीव्र संक्रमण से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है. इसके अलावा, संक्रमण के दौरान खराब डाइट, तेज बुखार और अन्य फैक्टर ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं. उसके ऊपर स्ट्रॉयड के इस्तेमाल से उसे ईंधन मिलता है, जो कुछ मरीजों में अनिवार्य है."


किसे ब्लड शुगल लेवल की जांच कराना चाहिए?
झा के मुताबिक, कोई शख्स जो कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाया गया है, उसे जरूर अपना डायबिटीज टेस्ट करवाना चाहिए. ये एक साधारण जांच है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. सही इलाज का फैसला करने में इसकी प्रमुख भूमिका होती है, इसलिए जरूर करवाना चाहिए. यहां तक कि अगर डॉक्टर से भी छूट जाए, तो उसे अनिवार्य टेस्ट समझा जाना चाहिए. उनका कहना है कि अगर पांच साल का बच्चा भी कोरोना पॉजिटिव होता है, तो उसका भी जरूर ब्लड शुगर लेवल की जांच होनी चाहिए. 


ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के संकेत
कोविड-19 के लक्षणों के साथ मिलने पर हाई ब्लड शुगर के लक्षणों में अंतर करना बहुत मुश्किल है. इस तरह, सबसे अच्छा है कि  HbA1c से ब्लड शुगर टेस्ट करवाया जाए ताकि औसत ब्लड शुगर लेवल का सही अंदाजा हो सके. अपोलो अस्पताल, दिल्ली में सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर एसके वान्गू भी हर शख्स के लिए अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करवाना जरूरी समझते हैं, चाहे उसे डायबिटीज हो या नहीं.


कोविड-19 पेनक्रियाज में बीटा सेल्स को प्रभावित कर सकती है, जो इंसुलिन पैदा करते हैं. ACE2-रिसेप्टर इंसुलिन बनानेवाली बीटा सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे इंसुलिन की कमी होती है और इस तरह ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी होती है. कोविड-19 संक्रमण के दौरान ब्लड शुगर लेवल पूरी बारीकी से मॉनिटर किया जाना चाहिए और सिर्फ इंसुलिन के साथ इलाज होना चाहिए. 


प्रीडायबिटीज के कोविड मरीज
समय पर इलाज नहीं कराने से प्रीडायबिटीज की स्थिति पूरी तरह डायबिटीज में बदल सकती है. ऐसे लोगों का इलाज स्थिति को काबू करने के लिए इंसुलिन से किया जाना चाहिए. नियंत्रित डायबिटीज के साथ किसी शख्स का भी कोविड के बाद ब्लड शुगर लेवल ऊंचा हो सकता है. ऐसे लोगों को अस्थायी तौर पर इंसुलिन की जरूरत हो सकती है और उनकी पुरानी दवा काम नहीं कर सकती. 


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