कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर पूरे देश को अपनी गिरफ्त में तेजी से ले रही है. संक्रमण के नए मामले रोजाना रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. ऐसे में जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि लोगों का टेस्ट ज्यादा से ज्यादा किया जाए ताकि वायरस की मौजूदगी और संक्रमण की गंभीरता की पुष्टि हो सके.
वायरस और म्यूटेंट स्ट्रेन का पता लगाने के लिए सबसे विश्वसनीय तकनीक RT-PCR टेस्ट है. कोविड-19 और वायरल लोड की पहचान के लिए भी ये टेस्ट उच्च मानक वाला समझा जाता है, जिससे संक्रमण और ट्रांसमिशन के खतरे की गंभीरता निर्धारित होती है.
क्या है वायरल लोड?
एक बार जब कोरोना वायरस ब्लड में दाखिल होता है, तो ये सेल्स के अंदर नकल बनाना और अधिक सेल्स को संक्रमित करना शुरू कर देता है. वायरल लोड संक्रमित शख्स के ब्लड में मौजूद वायरस के जेनेटिक मैटेरियल यानी आरएनए की मात्रा बताता है. इसे प्रत्येक मिलिलीटर ब्लड में मौजूद वायरल कणों की कुल संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है. ब्लड में अत्यधिक वायरल लोड का मतलब होता है कि वायरस नकल बना रहा है और संक्रमण को बढ़ा रहा है. कई तरह से केट्स संक्रमण के विकास को समझने के लिए किए जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वायरल लोड रोजाना अलग हो सकता है और निरंतर मॉनिटरिंग सबसे अच्छा उपलब्ध विकल्प है.
वायरल लोड और कोविड-19
ब्लड में रोगजनकों के वायरल लोड की माप पहले HIV संक्रमित लोगों में इस्तेमाल की जाती थी. उसका उद्देश्य ये जानना होता था कि एंटी वायरल इलाज से उनकी प्रतिक्रिया कैसी है. टेस्ट से बीमारी के विकास का निर्धारण होता है.
कोरोना वायरस के वायरल लोड और कोविड-19 पर फोकस करने के लिए कई रिसर्च किए गए हैं. माना जाता है कि वायरल लोड की जानकारी संक्रमण की गंभीरता के निर्धारण में मदद कर सकती है. हालांकि, अभी और भी ज्यादा इस क्षेत्र को समझने के लिए रिसर्च की जरूरत है.
सार्स-कोव-2 कोरोना वायरस के परिवार से संबंध रखता है जो ऊपरी श्वसन प्रणाली को संक्रमित करता है. वायरस के नए स्ट्रेन का वायरल लोड गले में ज्यादा नहीं होता है बल्कि नाक में प्रमुख होता है. अत्यधिक वायरल लोड लक्षण के शुरू होने के साथ संक्रमण के पहले सप्ताह के अंदर जाहिर होता है. उससे ये भी संकेत मिलता है कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा शुरुआती दिनों में सबसे अधिक है और वायरस के विकास को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है. वायरल लोड एसिम्पटोमैटिक मरीजों में भी मौजूद होता है जिसका मतलब है कि मरीज संक्रमण का दूसरों तक ट्रांसमिशन करने और कोविड-19 को सिम्टोमैटिक बनाने में बराबर सक्षम हैं.
क्या अधिक वायरल लोड का मतलब गंभीर लक्षण है?
अधिक वायरल लोड और बीमारी के विकास के बीच जटिल संबंध है. कोविड-19 मरीज के मामले में वायरस की मौजूदगी का पता लगाने की प्रक्रिया और संभावना नया है और शोधकर्ता अभी भी इस सिलसिले में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं. बात जब बीमारी के विकास और लक्षणों की गंभीरता की होती है, तब कई फैक्टर की भूमिका होती है. लेकिन सार्स, मार्स और इन्फ्लुएंजा के शुरुआती जानकारी के आधार पर अत्यधिक वायरल लोड से आम तौर पर गंभीर संक्रमण होता है.
लांसेट इंफेक्शीसियस डिजीज में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, गंभीर मामलों में वायरल लोड हल्के मामलों के मुकाबले में अधिकतर 60 फीसद ज्यादा होता है, जो साफ तौर पर संकेत होता है कि जितना ज्यादा वायरल लोड होगा, गंभीर लक्षण के होने का खतरा भी उतना ही ज्यादा होगा.
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