असम: कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित होने का पता लगाने के लिए पहला सीरो सर्वे रविवार को शुरू कर दिया गया है. इस मौके पर परिवार एंव कल्याण राज्य मंत्री पियूष हजारिका ने कहा, "सीरो का अध्ययन आज वक्त की जरूरत है. इससे वायरस के खिलाफ एंटी बॉडीज वाले लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी."
असम में सीरोलॉजिकल सर्वे की शुरुआत
गैर सरकारी संगठन श्रीजानासोम के ट्रस्टी मृदुस्मिता दास ने कहा, "अध्ययन कोरोना वायरस संक्रमण की पहचान करने में मदद करेगा. जिसको अभी मौजूदा टेस्टिंग रणनीति के तहत नहीं किया जा सका है. इससे असम के लोगों में संक्रमण के खिलाफ इम्युनिटी के विस्तार का पता चलेगा. सर्वे कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों के बीच प्लाज्मा डोनेट की जरूरत के बारे में जागरुकता पैदा करेगा." इस सिलसिले में गुवाहाटी की मेडिसिटी ग्रुप ऑफ क्लीनिक्स एंड डॉयग्नोस्टिक्स सैंपल कलेक्शन और लैब टेस्टिंग में मदद कर रही है.
ICMR की गाइडलाइन्स हो रहा सर्वे
सर्वे को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइन्स के मुताबिक किया जा रहा है. असम की डाउनटाउन यूनिवर्सिटी ने प्रस्तावित शोध की मंजूरी दे दी है. सर्वे का अध्ययन आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस नई दिल्ली की निगरानी में अंजाम दिया जाएगा. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन असम ने सभी डिप्टी कमिश्नर को निर्देश जारी किया है. सीरोलॉजिकल टेस्ट दरअसल एक तरीके का ब्लड टेस्ट है जो व्यक्ति के खून में मौजूद एंटीबॉडी की पहचान करता है. ब्लड में से अगर रेड ब्लड सेल निकाल दिया जाए तो जो पीला पदार्थ बचता है उसे सीरम कहते हैं.
ये 5 तरीके बच्चों में पैनिक अटैक की स्थिति को रोकने में होते हैं मददगार, तुरंत कम होती है घबराहट
कोरोना मरीजों में सूंघने की क्षमता कम होने के पीछे ये है कारण, नई रिसर्च में किया गया दावा