कोविड-19 व्यस्कों को गंभीर तरीके से प्रभावित कर सकता है, लेकिन अभी भी काफी हद तक माना जाता है कि बच्चे कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित नहीं होते हैं. उन्हें न तो अस्पताल में भर्ती होने का खतरा होता है और न ही गंभीर लक्षण की आशंका. लेकिन, ये सच नहीं हो सकता. नए रिसर्च में इसके विपरीत सबूत पाया गया है. हाल ही में रिसर्च से खुलासा हुआ कि बच्चों के ज्यादा प्रतिशत को कोविड-19 की पेचीदगियों से अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है, खासकर मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम, जो उसी तरह घातक हो सकता है.


क्या बच्चों को कोरोना वायरस का गंभीर संक्रमण हो सकता है?
हालांकि साथ ही ये भी माना जाता है कि बच्चे कोरोना वायरस से जुड़ी पेचीदगियों का शिकार हो सकते हैं और गंभीर लक्षण भी विकसित हो सकता है. भले ही बहुत ज्यादा इस बारे में अभी स्थापित सबूत नहीं हैं, लेकिन डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया है कि कोरोना वायरस उतना ही जोखिम भरा है जितना कि व्यस्कों के लिए.


जर्नल ऑफ ट्रोपिकल पेडियाट्रिक्स के ताजा खोज में बताया है कि कोविड-19 के गंभीर लक्षण होने पर करीब 3 बच्चों में से 1 को जल्दी अस्पताल में भर्ती होने और इंटेसिव केयर यूनिट की जरूरत पड़ती है और पेचीदगियों के खतरों में से कुछ घातक हो सकते हैं. इसका अवलोकन भी किया गया कि 49 फीसद बच्चे जिनको कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, ये बच्चे मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से पीड़ित थे, जो सबसे खतरनाक जटिलताओं में से एक है.


बच्चों के लिए एमआईएस को क्या खतरनाक बनाता है?
जबसे बच्चों में कोविड-19 का मामला सामने आया है, बीमार बच्चों में अभी तक दुर्लभ गंभीर पेचीदगी यानी एमआईएस या एमआईएस-सी उजागर हुआ है. मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी की स्थिति एक ऐसी समस्या है जब दिल, फेफेड़ों, दिमाग, आंख, किडनी समेत शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में सूजन आ जाती है. हालांकि, अभी तक कोविड-19 और एमआईएस के बीच स्पष्ट संबंध अज्ञात है, मगर एमआईएस से पीड़ित बच्चों को अक्सर सूजन वाली बीमारियों से मिलते-जुलते लक्षम का सामना होता है. ज्यादातर बच्चों में एमआईएस-सी का सबसे आम लक्षण 24 घंटे से ज्यादा लगातार बुखार देखा गया है.


एमआईएस-सी से प्रभावित ज्यादातर बच्चों को श्वसन तंत्र, गैस्ट्रोइन्टेस्टनल सिस्टम, स्किन जैसी समस्याओं और जटिलताओं का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा ये भी अवलोकन किया गया है कि एमआईएस से पीड़ित बच्चों की मृत्यु दर सामान्य से ज्यादा रही है. हाल के रिसर्च से संकेत मिला है कि कोविड-19 के साथ एमआईएस 60 फीसद मृत्यु दर लाता है. जिन बच्चों का समय पर पहचान हो जाता है, ये ऑक्सीजन सहायता और वेंटिलेशन की ज्यादा जरूरत का कारण भी बन सकता है.


बच्चों के लिए कब तक वैक्सीन उपलब्ध हो सकेगी?
अभिभावकों को बच्चों के लिए वैक्सीन का इंतजार छह महीनों से ज्यादा करना पड़ सकता है. टीकाकरण अभियान में अभी युवा बच्चों को प्राथमिकता नहीं दी गई है. हालांकि, शोधकर्ता वर्तमान में जांच करने और बच्चों के उपयुक्त वैक्सीन का डोज बनाने पर काम कर रहे हैं. मॉडर्ना और फाइजर जैसी कंपनियों ने पहले ही बच्चों को मानव परीक्षण में शामिल करना शुरू कर दिया है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटेक भी बच्चों के लिए वैक्सीन विकसित करने का मंसूबा बना रही हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो माना जाता है कि 2021 की गर्मी तक वैक्सीन के डोज उपलब्ध हो सकते हैं.


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