कई शोध से पता चला है कि विटामिन डी कोविड-19 के मरीजों पर जादुई असर कर सकता है. जादुई असर दोनों सूरतों में यानी लक्षणों को नियंत्रित कर और संक्रमण को रोक कर करता है. अस्पताल में कोविड-19 के भर्ती मरीजों में से 20 लोगों में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) विकसित हुआ और इसके चलते उन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ी. ARDS एक ऐसी स्थिति होती है जब तरल पदार्थ फेफड़ों में इकट्ठा हो जाता है. ये साइटोकिन तूफान या ब्रैडीकिनिन तूफान से जुड़ा होता है.


साइटोकिन्स क्या हैं?


साइटोकिन्स छोटे प्रोटीनों का एक समूह है जिसमें कोशिका संचार शामिल होता है. इम्यून कोशिकाएं और गैर-प्रतिरक्षा कोशिकाएं साइटोकिन्स का उत्पादन करती हैं. साइटोकिन्स बाध्यकारी रिसेप्टर्स होते हैं और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और अन्य कार्यों जैसे सेल विकास, सेल भेदभाव आदि को पूरा करते हैं. साइटोकिन्स मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रक्रियाओं के मध्यस्थों और नियामकों के रूप में कार्य करते हैं. ये कोशिकाओं को सिग्नल भेजकर शरीर के इम्यून सिस्टम को गतिशील बनाते हैं. ब्रैडीकिनिन भी प्रोटीन होते हैं जिसकी वजह से सूजन होता है. इन प्रोटीन की ज्यादा मात्रा होने को साइकोटीन तूफान या ब्रैडीकिनिन तूफान  कहा जाता है. जिनके चलते मल्टीपल ऑर्गन फेल्यॉर होता है.


क्या होता है मल्टीपल ऑर्गन फेल्यॉर?


जब शरीर के दो से ज्यादा अंग काम करना बंद करते हैं तो उसे मल्टीपल ऑर्गन फेल्यॉर कहा जाता है. विटामिन डी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है. विटामिन-डी टी हेल्पर सेल टाइप 1 के कार्य को रोकता है. शोध से पता चला है कि विटामिन डी की सक्रिय शक्ल का संबंध दो साइटोकिन्स के अवरोध से सीधे जुड़ा है. ये दो साइटोकिन्स हैं गामा इंटरफेरॉन और आईएल-2. दोनों साइटोकिन्स के चलते अंग काम करना बंद कर सकते हैं.


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