लंबे इंतजार और धैर्य के बाद कोविड-19 की वैक्सीन सामने आ गई है. सरकार की तरफ से कोवैक्सीन और कोविशील्ड को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के बाद 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है. लेकिन, ऐसा लगता है कि कोविड-19 वैक्सीन का टीका लगवाना मोटापे से पीड़ित लोगों को उतना ज्यादा प्रभावी नहीं हो सकता. आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने मोटापा को कोविड-19 संक्रमण का बड़ा जोखिम माना है.
मोटापे पर कोविड-19 वैक्सीन का कैसा असर?
नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, मोटापा कोविड-19 वैक्सीन के असर और प्रभाव को रोक सकता है. इसका मतलब हुआ कि कोविड-19 के डोज से शोधकर्ता जितना संरक्षण चाहते हैं, उतनी सुरक्षा नहीं मिल सकती. शोधकर्ता नवनीत सूद कहते हैं, "कोविड-19 की गंभीरता मोटे या डायबिटीज के मरीजों में संभावित ऊंची होती है. सच्चाई ये है कि इम्यूनिटी और इलाज की प्रक्रिया सेहतमंद शख्स के मुकाबले मोटे शख्स में ज्यादा धीमी हो सकती है."
उन्होंने आगे बताया कि ऐसी स्थिति वैक्सीन के प्रति इम्यून सिस्टम के रिस्पॉन्स को भी प्रभावित करती है. वही बात कोविड-19 वैक्सीन पर भी लागू होती है. लेकिन अभी दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि कोविड-19 की वैक्सीन का असर और मोटापा के बीच संबंध है. रिपोर्ट के मुताबिक, मोटे लोग एक 'सुस्त' प्रतिक्रिया पेश करते हैं और प्रयाप्त एंटीबॉडीज पैदा करने के योग्य नहीं हो सकते.
मोटे लोग 'सुस्त' रिस्पॉन्स पेश करते हैं-रिसर्च
उनको देर से भी कोविड-19 वैक्सीन का रिस्पॉन्स हो सकता है. हाल ही में पर्सपेक्टिव ऑन साइकोलोजिकल साइंस पत्रिका में एक रिसर्च प्रकाशित हुआ है. उसमें बताया गया है कि डिप्रेशन, तनाव, अकेलापन और खराब स्वास्थ्य व्यवहार शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है और कोविड-19 वैक्सीन के असर को कम कर सकता है. शोधकर्ता जोर देते हैं कि प्रयावरणीय प्रभाव, जेनेटिक, शारीरिक और दिमागी सेहत शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे वैक्सीन का रिस्पॉन्स धीमा हो जाता है.
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में वरिष्ठ कंसलटेन्ट ज्योति मुट्टा का कहना है, "स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों का इम्यून सिस्टम वैक्सीन के रिस्पॉन्स को प्रभावित कर सकता है. इस श्रेणी में स्टेरॉयड पर निर्भर लोग, लीवर, किडनी की गंभीर बीमारियां, अनियंत्रित डायबिटीज या कैंसर के मरीज आ सकते हैं."
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