पिछले कुछ वर्षों में वनस्पति आधारित आहार की लोकप्रियता बढ़ गयी है. नतीजन सॉसेज और बर्गर जैसे मांस समेत पसंदीदा खाद्य पदार्थ के वनस्पति आधारित विकल्प सामने आए हैं. अगले कुछ वर्षों में उद्योगों की संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. लेकिन, अब भी इन खाद्य उत्पादों के बारे में नहीं मालूम कि ये स्वास्थ्य के लिए ठीक हैं या नहीं.


वनस्पति आधारित फूड विकल्पों की बढ़ी लोकप्रियता


कई उत्पाद मुख्य तौर पर वनस्पति से बने होने का दावा करते हैं लेकिन अन्य अति-प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों से अलग नहीं हैं. उनमें अकसर प्रोटीन आइसोलेट, इमल्सीफायर्स, खाद्य पदार्थों को मिश्रित करने वाले पदार्थ और या खराब होने से बचाने वाले पदार्थ मौजूद होते हैं. ये औद्योगिक प्रसंस्कृत तरीकों से बनाया जाता है. इसलिए उन्हें अति-प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद माना जा सकता है. अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का संबंध मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, कैंसर तथा अन्य बीमारियों से होने के सबूत मिले हैं. इसकी वजह खराब पोषणात्मक सामग्री के मिश्रण, सिंथेटिक पदार्थ और फाइबर की कमी हो सकती है. इस तरह का भोजन भी दीर्घकालीन बीमारियों से होने वाली मौत का सबसे प्रमुख कारण है.


अगले कुछ वर्षों में उद्योगों की संख्या बढ़ने का अनुमान


सोया प्रोटीन वनस्पति आधारित मांस विकल्पों में प्रोटीन का मुख्य स्रोत है. लेकिन उसमें सूअर के मांस से बने उत्पादों के मुकाबले नाइट्रेट का स्तर अधिक होता है. इससे मलाशय का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. भोजन में नाइट्रेट की अधिक मात्रा किडनी, टाइप 2 मधुमेह और श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढाती है. प्रसंस्कृत मांस में रंग और स्वाद बढ़ाने वाला हेमे भी एक सामग्री है. मांसाहार उत्पादों में हेमे नाइट्रेट के साथ मिलकर अधिक हानिकारक हो सकता है.


अभी ये साफ नहीं है कि क्या वनस्पति आधारित उत्पादों पर भी ऐसा ही असर होगा. लेकिन हेमे और नाइट्रेट की मौजूदगी चिंता का कारण है. वनस्पति आधारित कई बर्गरों में स्टेबेलाइजर और इमल्सीफायर मिथाइलसेलुलोज होते हैं जो उन्हें मांस जैसे रंग देते हैं. मिथाइलसेलुलोज को चूहों में सूजन बढ़ाते देखा गया है, जिससे मलाशय के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि, अभी इस सिलसिले में रिसर्च किए जाने की जरूरत है. जाहिर तौर पर बाजार में वनस्पति आधारित मांस के सभी विकल्प आपके लिए खराब नहीं हैं. वनस्पति आधारित फूड बाजार अभी उभर रहा है जिसका मतलब है कि कई नए उत्पाद अभी विकसित किए जा रहे हैं और रिसर्च जारी रहा है. 


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