हर मुल्क की अपनी न्यायिक प्रक्रिया होती है. जिसके मुताबिक मुजरिमों को सजा दी जाती है. सजा का संबंध जुर्म की गंभीरता से होता है. मगर दुनिया में कुछ फैसले हुए हैं जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. आज भी जब उन सजाओं का जिक्र किया जाता है तब इंसाफ करने के अनोखे तरीके अचरज में डाल देते हैं.


ब्रिटेन में 2 बच्चों को अदालत ने परिंदों के नाम याद करने की सजा दी. बच्चों ने अपने एयरगन से उनका शिकार किया था जिनके शिकार करने पर कानूनन रोक थी. सजा के एलान के बाद बच्चों को उन परिंदों के नाम याद करने पड़े. दूसरी अनोखी सजा का मामला अमेरिका का है. जहां 2 अमेरिकी बच्चे 6 माह तक स्कूल से गायब रहे. अपनी लंबी अनुपस्थिति का कारण बता पाने में बच्चे असमर्थ रहे. जब उनके माता-पिता से पूछा गया तो उन्होंने भी टाल मटोल किया. अदालत सोच में पड़ गई कि उन बच्चों को क्या सजा सुनाया जाए. आखिरकार उनके लिए यही फैसला हुआ कि दोनों बच्चे अपनी सालाना छुट्टियां स्कूल में गुजारेंगे. बच्चों के लिए सजा का एलान बिल्कुल अप्रत्याशित था. उन्हें उम्मीद थी कि अदालत जुर्माना लगाएगी, जिसे उनके माता-पिता फौरन भर देंगे. मगर सजा के एलान के बाद उनके सारे उपाय धरे के धरे रह गए. अदालत से इसे वापस लेने की गुहार के बावजूद अदालत नहीं मानी.


ऑस्ट्रेलिया में एक अदालत ने ड्राइवर की लापरवाही पर उसे अस्पताल में जाकर मरीजों की सेवा करने को कहा. सजा के तहत ड्राइवर को 6 महीने तक सड़क दुर्घटना में घायल होने वालों का मरहम पट्टी करना पड़ता था. दरअसल ड्राइवर के फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ा देने से कई लोग उसकी चपेट में आकर जख्मी हो गए थे. मामला जब अदालत में गया तो उसने ड्राइवर से पूछा कि क्या उसे अपने किए पर पछतावा है? अदालत के सवाल पर ड्राइवर ने जवाब दिया कि ऐसा संयोग से हो गया है. लोगों को खुद एहतियात बरतने की जरूरत थी कि आखिर फुटपाथ पर लापरवाही से चलते क्यों हैं.


कैलीफोर्निया की अदालत ने एक हैरत अंगेज फैसला सुनाया. उसने एक लापरवाह महिला को सड़क पर पूरे एक मील तक बिखरे हुए डिब्बों को उठाने का हुक्म दिया. महिला का कसूर ये था कि उसने जूस का डिब्बा चलती कार से बाहर फेंक दिया था. जिसके चलते एक बाइक सवार पुलिस कर्मी हादसे का शिकात होते-होते बचा. अनोखे फैसले के जरिए अदालत ने लोगों की खूब वाहवाही बटोरी.


Coronavirus: सामाजिक संबंधों के ताने-बाने को तोड़ रही महामारी, अपनों से कर रही दूर


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