Covid-19: क्या बिना लक्षण वाले बच्चे गंभीर रूप से व्यस्क मरीजों की तुलना में ज्यादा संक्रामक हैं?
एक शोध में बच्चों को कोविड-19 का ज्यादा संक्रामक पाया गया है.शोधकर्ताओं का कहना है कि बिना लक्षण वाले बच्चे 'साइलेंट स्प्रेडर' हैं.
कोरोना वायरस के बारे में जैसे-जैसे शोध का दायरा बढ़ रहा है, नई-नई बातें निकल कर सामने आ रही हैं. अमेरिका में किए गए एक शोध में बिना लक्षण वाले बच्चों को कोविड-19 का अत्यधिक संक्रामक बताया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि बिना लक्षण वाले बच्चे 'साइलेंट स्प्रेडर' या गुप चुप तरीके से वायरस फैलाने का कारण हो सकते हैं. इसका मतलब है कि कोविड-19 की बीमारी बच्चे अपने साथ लेकर घूम रहे हैं और उन्हें इसकी भनक तक नहीं है.
क्या बच्चे कोविड-19 के हैं ज्यादा संक्रामक?
शोध में 0-22 साल की उम्र के 192 बच्चों को शामिल किया गया. जांच में 49 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए जबकि 18 बच्चों में देर से कोविड-19 बीमारी पैदा हुई. यूएसए टूडे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कुछ बच्चों में कोरोना के लक्षण नहीं थे. मगर उन्हें कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने की वजह से अस्पताल लाया गया था. इस दौरान शोधकर्ता सभी उम्र के बच्चों में वायरल लोड की अत्यधिक मात्रा देखकर हैरान रह गए. मैसाचुएट्स जनरल अस्पताल की शोधकर्ता डॉक्टर लइल योंकर ने कहा, "मैं संक्रमण के पहले दो दिनों में बच्चों में वायरल लोड की अत्यधिक मात्रा देखकर आश्चर्यचकित रह गई. मुझे वायरल लोड के बहुत ज्यादा अत्यधिक होने की उम्मीद नहीं थी."
शोध में किया गया हैरतअंगेज खुलासा
उन्होंने बताया कि ICU में भर्ती व्यस्कों के मुकाबले 'स्वस्थ बच्चे' कोरोना वायरस लोड की वजह से ज्यादा संक्रामक हो सकते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में बच्चों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. बच्चे कोविड-19 बीमारी को गुपचुप तरीके से फैला सकतें हैं. इसलिए स्कूल, शैक्षणिक संस्थान खोले जाने से पहले तमाम पहलुओं पर विचार करना चाहिए. उन्हें आशंका है कि बच्चे कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का कारण बन सकते हैं. उनके मुताबिक हो सकता है बच्चों में कोरोना का लक्षण जाहिर न हो मगर हजारों लोगो को संक्रमित कर दें.
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