Covid-19 Vaccine: रमजान के दौरान वैक्सीन लगवाने से नहीं टूटता रोजा, मुस्लिम उलेमा का बयान
रमजान के इस्लामी महीने में मुसलमानों को कोविड-19 वैक्सीन का इस्तेमाल जारी रखने पर प्रेरित किया जा रहा है. मेडिकल पेशेवरों और मुस्लिम नेताओं के मुताबिक, कोई वजह समझ में नही आती कि क्यों पवित्र महीना किसी को वैक्सीन लेने की राह में बाधा बन सकता है.
ब्रिटेन के मुस्लिम समुदाय से संबंधित बुद्धिजीवियों और उलेमाओं ने कहा है कि कोविड-19 वैक्सीन का इस्तेमाल करने और रमजान में उपवास के बीच कोई टकराव नहीं है. दुनिया भर के मुस्लिमों के लिए रजमान का महीना एक पवित्र महीना है और इस दौरान सुबह से लेकर शाम तक खाने, पीने से खुद को मुस्लिम रोक लेते हैं. हालांकि, रोजा की हालत में धार्मिक शिक्षा मुस्लिमों को 'शरीर के अंदर कुछ भी दाखिल करने' से रोकती है, मगर ब्रिटेन के बुद्धिजीवियों ने कहा है कि ये नियम कोविड-19 वैक्सीन पर लागू नहीं होता.
रमजान के दौरानकोविड-19 वैक्सीन से नहीं टूटता रोजा
बर्मिंघम की ग्रेन लेन मस्जिद के इमाम मुस्तफा हुसैन ने अरब न्यूज को बताया, "वैक्सीन में पोषण का मूल्य नहीं है और हम इंजेक्शन के बारे में विचार करते वक्त उससे शरीर को क्या हासिल होता है, उस पर विचार करते हैं. अगर वैक्सीन से शरीर को कोई पोषक या पोषक मूल्य मुहैया नहीं होता है, तब आपको उसका इस्तेमाल करने की इजाजत है, यहां तक कि आप रोजे से भी हों." उन्होंने कहा, "इससे आपका रोजा बिल्कुल नहीं खराब होता है. इसलिए, रमजान के दौरान टीकाकरण में कुछ भी गलत नहीं है." दवा और रोजा नया नहीं है. बीमार पड़ने की सूरत में मुस्लिम रोजा त्याग सकते हैं रमजान के बाद छोड़े हुए रोजे की भरपाई कर सकते हैं. रमजान का संयोग पूरे ब्रिटेन में टीकाकरण अभियान के साथ पड़ रहा है. चिंता इस बात की है कि ब्रिटेन की 2.5 मिलियन मुस्लिम आबादी के लिए टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ सकती है.
ब्रिटेन के उलेमा वैक्सीन लगवाने के लिए कर रहे प्रेरित
पाकिस्तान और बांग्लादेश मूल के ब्रिटिश नागरिक पहले ही महामारी से बुरी तरह प्रभावित होनेवाले ग्रुप में से हैं, हालांकि वैक्सीन से जुड़ी गलत सूचना और अभियान की वजह से उनको वैक्सीन मिलने पर मना करने की अधिक संभावना पैदा कर दिया है. इसका मुकाबला करने के लिए ब्रिटेन की मस्जिदों और उसके इमामों ने उसके धार्मिक महत्व पर रोशनी डालते हुए लोगों को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई है. कुछ मस्जिदों ने अपना दरवाजा ब्रिटेन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा को वैक्सीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए खोल दिया है. नए डेटा बताते हैं कि वैक्सीन के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ाने के लिए इन प्रयासों का काफी अच्छा असर हुआ है.
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