कोविड-19 वैक्सीन प्रेगनेन्ट महिलाओं में एंटीबॉडीज बनाने के लिए निहायत असरदार हैं. मां से हिफाजती इम्यूनिटी छाती के दूध से नवजात शिशुओं तक भी पास हो जाती है. अमेरिकन जर्नल ऑफ ओब्सटेट्रिक्स एंड गाइनाकॉलोजी में प्रकाशित रिसर्च में दावा किया गया है.


कोविड-19 के निहायत प्रभावी होने का बड़ा खुलासा


शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन प्रेरित एंटी बॉडी गैर प्रेगनेन्ट महिलाओं के मुकाबले प्रेगनेन्ट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में बराबर थी. शोधकर्ताओं ने रिसर्च के लिए प्रतिभागियों के तौर पर प्रजनन उम्र की 131 महिलाओं को शामिल किया और उनमें 84 प्रेगनेन्ट, 31 स्तनपान करानेवाली और 16 महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं थीं.


सभी महिलाओं को फाइजर/बायोएनटेक या मॉडर्ना की वैक्सीन लगाई गई. महिलाओं का टीकाकरण या तो प्रेगनेन्सी के दौरान किया गया या जन्म के बाद. उसके बाद वायरस विशिष्ट एंटीबॉडीज पैदा करने की उनकी क्षमता का मुकाबला उन महिलाओं से किया गया जिनको डोज तो लग चुका था लेकिन प्रेग्नेंट नहीं थीं.


नतीजे से पता चला कि सभी तीनों समूहों में एंटी बॉडी के लेवल बराबर पाए गए और टीकाकरण के बाद साइड-इफेक्ट्स दुर्लभ थे. बड़ी खोज मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल, ब्रिघम एंड वुमेन हॉस्पिटल और रेगन इंस्टीट्यूट ऑफ एमजीएच, एमआईटी और हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने की है. एमजीएच में मेडिसीन विशेषज्ञ और रिसर्च के वरिष्ठ लेखक एंड्रयू एडलो ने कहा कि प्रेगनेन्ट महिलाओं में वैक्सीन का असर बहुत उत्साहजनक है.


प्रेगनेन्ट महिलाओं और उनके बच्चों पर हुआ रिसर्च

हालांकि, रिसर्च में शामिल महिलाओं की छोटी संख्या सीमित फैक्टर है, लेकिन ये फिर भी प्रेगनेन्सी में कोविड-19 टीकाकरण के प्रभावी और सुरक्षा की बहुत महत्वपूर्ण शुरुआती जानकारी देती है. ये मायने रखता है, क्योंकि नई संक्रामक बीमारियां गर्भावस्था और प्रसव, उसी तरह नवजात अवस्था में महिलाओं के लिए सभी खतरों के साथ आती हैं. इन सभी खतरों पर प्रेगनेन्ट महिलाओं से जुड़ी, खासकर वैक्सीन रणनीति बनाते वक्त स्वास्थ्य संबंधी फैसले लेने पर विचार करने की जरूरत है.

फिलहाल, प्रेगनेन्ट महिलाओं और उनके बच्चों पर कोविड-19 के असरदार होने की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ बातों को हम जानते हैंं. प्रेगनेन्सी के शुरुआती दौर में वायरस का संबंध मिसकैरेज की ज्यादा संभावना से नहीं जुड़ता है. कोख में मां से शिशु तक वायरस का पहुंचना तुलनात्मक रूप से दुर्लभ है और बच्चे शायद ही कभी बीमार पड़ते हैं.


एक शोधकर्ता बताती हैं कि रिसर्च से वैक्सीन निर्माताओं को प्रेगनेन्ट और स्तनपान करानेवाली महिलाओं और उनको मानव परीक्षण में शामिल कर अध्ययन करने के महत्व का एहसास कराने में मदद करेगी. रिसर्च फाइजर वैक्सीन से मॉडर्ना वैक्सीन के मुकाबले इम्यून रिस्पॉन्स के बीच संभावित अंतर का भी सुझाव देती है.


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