अब तक वैज्ञानिक ये समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कोविड-19 के मरीजों को सूंघने और चखने की शक्ति कम क्यों हो जाती है? मगर अब, उन्होंने पहेली को संभावित तौर पर हल करने का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि अचानक सूंघने की शक्ति का क्षरण दिमागी बदलावों का नतीजा होता है.
कोविड-19 के मरीजों में सूंघने का क्यों होता है क्षरण?
कोरोना वायरस से पैदा होने वाली बीमारी कोविड-19 के नतीजे में गंध या स्वाद के बोध का जाना आम लक्षणों में से एक माना गया था. अमेरिका के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने अन्य लक्षणों जैसे बुखार, सर्दी, खांसी, सांस लेने में परेशानी और थकान समेत गंध या स्वाद के क्षरण को लक्षणों में शामिल किया था. बेल्जियम की यूएलबी यूनिवर्सिटी में फंक्शनल ब्रेन मैपिंग लैब के शोध में देखा गया कि कोविड-19 के मरीज सूंघने की क्षमता से क्यों महरूम हो जाते हैं.
वैज्ञानिकों ने वजह बताते हुए कहा कि ऐसा खास न्योरॉन की मदद करनेवाली कोशिकाओं के प्रभावित होने के चलते होता है जो सूंघने की कुंजी होती है. माना गया कि सूजन खास रिसेप्टर को गंध आने से रोकता है और जब ये कम हो जाता है, तो किसी शख्स के सूंघने का बोध बहाल हो जाता है. वैज्ञानिकों ने पहेली को समझने के लिए सूंघने की शक्ति से महरूम होने वाले कोविड-19 के 23-60 साल के 12 मरीजों को शामिल किया.
दिमाग में होने वाले बदलाव को बताया गया नतीजा
उन्होंने उनकी तुलना 22-52 साल के 26 स्वस्थ लोगों से की. इसके लिए लोगों के मस्तिष्क का नक्शा MRI स्कैन से तैयार किया गया. इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि उनमें से 7 मरीजों में सूंघने की शक्ति से महरूमी कोरोना वायरस का बुनियादी लक्षण था. पांच मरीज दस हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो गए और अन्य मरीजों में कोविड-19 से ठीक होने के 16 हफ्तों बाद भी सूंघने की समस्या रही. उन्होंने नतीजा निकाला कि कोरोना वायरस दिमाग के उन हिस्सों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है जो गंध को सूंघने का हिस्सा होते हैं. शोध के नतीजे को अभी किसी पत्रिका में जगह नहीं मिली है बल्कि प्री प्रिंट सर्वर medRxiv पर जारी किए गए हैं.
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